लोकसभा ने क्रिमिनल प्रोसीजर (शिनाख्त) बिल बीते सोमवार को पास कर दिया। इसके पारित होने के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि इसका कोई गलत इस्तेमाल नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि बिल में किसी सजायाफ्ता या आरोपी व्यक्ति की पहचान के लिए उसके जैविक सैंपल- फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट और अन्य तरह के सैंपल लिए जाने का प्रावधान है। इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह इस बिल को बदलते समय की जरूरत बताया। अब बिल को राज्यसभा भेजा जाएगा। केंद्र का तर्क है कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी कि कानून का कोई गलत इस्तेमाल ना हो। विपक्ष ने इस बिल को लेकर चिंताएं जताई थीं कि इस कानून का इस्तेमाल अधिकारियों की ओर से आम लोगों को परेशान करने में किया जा सकता है। इसके अलावा इस कानून के तहत जुटाई गईं आम लोगों की जानकारियों के गलत प्रयोग की आशंकाएं विपक्षी दलों के अलावा मानवाधिकार और डेटा प्राइवेसी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता भी जताते रहे हैं। बिल पारित करने से पहले संसद की बहस के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि यह बिल सुनिश्चित करेगा कि जांच करने वाले अपराध करने वालों से दो कदम आगे रहें। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की बात करने वालों को पीडि़तों के अधिकारों की भी बात करनी चाहिए। लोकसभा में लगभग समूचे विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया था। विरोध करने वालों में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल के सांसद भी शामिल थे। विपक्षी सांसदों ने आशंका जताई कि पुलिस और अन्य कानून एजेंसियां इस कानून का इस्तेमाल आम नागरिकों को परेशान करने के लिए कर सकती हैं। यह तर्क भी दिया गया कि अब तक देश में डाटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं है, ऐसे में डाटा जमा करना उचित नहीं है। विपक्ष में वाईएसआई कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी थी जिसने बिल का समर्थन किया। हालांकि पार्टी के सांसद मिधुन रेड्डी ने मांग की कि सरकार गारंटी दे कि इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ नहीं होगा और डाटा की सुरक्षा की जाएगी। समूचे विपक्ष ने मांग की कि इस बिल को संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए। बावजूद इसके सोमवार शाम को यह बिल ध्वनिमत से पास कर दिया गया। चर्चा के दौरान कई सांसदों ने इस प्रावधान पर भी आपत्ति जताई कि थाने के हेड कांस्टेबल या जेल के वॉर्डन को हिरासत में बंद लोगों से लेकर सजा पाए अपराधियों तक के नाप लेने का अधिकार होगा। आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने इन पंक्तियों में बदलाव की मांग की, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। बिल पर बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह एक निर्दयी बिल है जो सामाजिक स्वतंत्रताओं का विरोधी है। उन्होंने कहा कि यह बिल पहचान के मकसद से अपराधियों और अन्य लोगों के शरीर का नाप लेने और उस रिकॉर्ड को संरक्षित रखने का विकल्प देता है, जो संविधान की धारा 14, 19 और 21 के विरुद्ध है जिनमें मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं के अधिकारों की बात है। डीएमके नेता दयानिधि मारन ने भी इस बिल को जन विरोधी और संघीय भावना के खिलाफ बताया। सारांशत: कहा जा सकता है कि इस बिल के कानून बनने से अपराधियों की शिनाख्त में मदद मिलेगी, परंतु इस कानून का दुरुपयोग न हो और कोई निर्दोष इससे प्रभावित न हो, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।
क्रिमिनल प्रोसीजर बिल
