नवरात्रि के नौ दिन तक माता के समक्ष अखंड दीपक जलाया जाता है। ऐसे में अक्सर लोग इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि दीपक तेल का जलाएं या घी का। वहीं, दीपक जलाते दौरान भी लोग कई गंभीर गलतियां कर देते हैं जिनका उन्हें अंदाजा तक नहीं होता है लेकिन उन गलतियों का दुष्प्रभाव जीवन पर पड़ता रहता है। ऐसे में आज हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि नवरात्रि में घी का दीपक जलाएं या तेल का और इसके साथ ही ये भी बताएंगे कि दीपक को किस दिशा में किस देवता की ओर स्थापित करने से वास्तु और ग्रहों की दिशा मजबूत होती है। 

- शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दौरान दीपक या तो घी का होना चाहिए या तिल के तेल का। 

- इसके साथ ही घी के दीपक और तिल के तेल के दीपक की अलग-अलग दिशा का भी वर्णन है। घी का दीपक देवता के दाहिने हाथ यानि अपने बाएं हाथ की तरफ रखना चाहिए और तिल के तेल का दीपक देवता के बाएं हाथ यानि आपके दाहिने हाथ की ओर होना चाहिए।

- दीपक जलाते वक्त किस तरह की बत्ती का उपयोग हो रहा है यह भी अत्यधिक मायने रखता है। घी के दीपक में सफेद खड़ी बत्ती लगानी चाहिए जबकि तिल के तेल में लाल और पड़ी बत्ती लगानी चाहिए।

घी का दीपक देवता के लिए समर्पित होता है जबकि तिल के तेल का दीपक आपकी कामनाओं की पूर्ती के लिए होता है। आप आवश्यकतानुसार एक या दोनों दीपक जला सकते हैं। इससे घर के वास्तु का अग्नि तत्व मजबूत होता है और ग्रहों की दशा भी आपके अनुकूल होती है।