असम से राज्यसभा की दो सीटों के चुनाव के लिए राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है। दूसरी तरफ प्रशासन ने चुनाव की पूरी तैयारी कर ली है। कांग्रेस के रिपुन बोरा तथा रानी नरह का कार्यकाल पूरा होने के कारण राज्यसभा का चुनाव होने जा रहा है। सत्ताधारी भाजपा गठबंधन ने दोनों सीटों के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। पहली प्राथमिकता के तहत भाजपा से पवित्र मार्घेरिटा को तथा दूसरी प्राथमिकता के तहत सहयोगी पार्टी यूपीपीएल से रवनग्रा नार्जारी को उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस ने एक बार फिर रिपुन बोरा अपना उम्मीदवार घोषित किया है। विधानसभा में भाजपा गठबंधन के पास कुल 83 विधायक हैं। नंबर के आधार पर एक सीट पर भाजपा की जीत निश्चित है, किंतु दूसरी सीट के लिए महाभारत जारी है। वर्तमान में कांग्रेस के पास 43 विधायकों का समर्थन है, जो जीत के लिए काफी है। वर्तमान विधानसभा में कांग्रेस के 26, एआईयूडीएफ के 15 तथा राइजर दल एवं माकपा के एक-एक विधायक हैं। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा तथा उनके सहयोगी लगातार दावा कर रहे हैं कि उनका गठबंधन दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगा। यह तभी संभव है जब कांग्रेस या एआईयूडीएफ के विधायक भाजपा गठबंधन उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें। विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी पहले ही कह चुके हैं कि जो सदस्य अपनी पार्टी की लाइन से हटकर मतदान करेंगे उनकी सदस्यता नहीं जाएगी। भाजपा ने कांग्रेस या एआईयूडीएफ विधायकों को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए मुहिम तेज कर दी है। भाजपा ने अपने विधायकों को वोट देने का प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन किया, जिसे मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने संबोधित किया। कांग्रेस अपने विधायकों को अपने पाले में रखने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी जितेन्द्र सिंह ने गुवाहाटी में कांग्रेसी विधायकों के साथ बैठक कर विधायकों को एकजुट करने का भरसक प्रयास किया है। राजनीतिक गहमागहमी के बीच कांग्रेस तथा एआईयूडीएफ के बीच भी टकराव बढ़ गया है। एआईयूडीएफ बदरूद्दीन अजमल ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह अपने विधायकों को एकजुट रखने में सफल नहीं हो रही है। उनका आरोप है कि कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकते हैं। इधर कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने पलटवार करते हुए कहा है कि एआईयूडीएफ पांच विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बदरूद्दीन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। कांग्रेस और एआईयूडीएफ के बीच चल रहे टकराव से ऐसा लगता है कि इन दोनों पार्टियों के कुछ विधायक मतदान के वक्त भाजपा के पक्ष में मतदान कर सकते हैं। कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह का भी फायदा भाजपा गठबंधन को मिल सकता है। मालूम हो कि अब तक कांग्रेस के दो विधायक पाला बदल कर भाजपा में जा चुके हैं, जबकि रोहा के विधायक शशिकांत दास ने खुलेआम भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। अब देखना है कि कांग्रेस अपनी प्रतिष्ठा बचा पाती है या दोनों सीटें भाजपा की झोली जाएंगी।
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