पाकिस्तान में कई ऐसे रहस्य हैं जो अभी भी अनसुलझे हैं। पड़ोसी देश में दशकों से एक रहस्यमयी जनजाति रह रही है। हिंदू कुश पहाड़ों से घिरे स्थान पर कलाश नाम का समुदाय रहता है। इस समुदाय के लोगों का मानना है कि पहाड़ से घिरे होने के कारण उनकी संस्कृृति सुरक्षित है। माना जाता है कि पाकिस्तान में पहाड़ों के बीच रहने वाली कलाश जनजाति की परंपराएं हिंदुओं की प्राचीन मान्यताओं से मिलती हैं। लेकिन उनकी शुरुआत कब हुई अभी तक यह रहस्य बरकरार है। अफगानिस्तान की सीमा से सटे पाकिस्तानी इलाके में रहने वाली कलाश जनजाति की वहां के सबसे कम आबादी वाले अल्पसंख्यकों में गिनती होती है। हिंदू कुश पहाड़ों के बीच रहने वाले इस समुदाय के लोग बाहरी दुनिया से एकदम अलग-थलग रहते हैं। यहां के लोग पहाड़ों को काफी मान्यता देते हैं। यहां के पहाड़ की ऐतिहासिक मान्यता भी है। इसी इलाके में सिकंदर की जीत हुई थी जिसके बाद इसे कौकासोश इन्दिकौश के नाम से पुकारा जाने लगा। यूनानी भाषा में इसका अर्थ है हिंदुस्तानी पर्वत। इसकी वजह से कलाश समुदाय को सिकंदर महान का वंशज भी बताया जाता है। साल 2018 में पाकिस्तान में जनगणना के दौरान कलाश समुदाय को अलग जनजाति में जगह दी गई। इस जनगणना के मुताबिक इस समुदाय में 3800 लोग हैं। यह लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं। यहां पर किसी भी त्योहार के दौरान इस समुदाय की औरतें और मर्द एक साथ बैठकर शराब पीते हैं। इस मौके पर लोग बांसुरी और ड्रम बजाते हैं और नाचते-गाते हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी की डर से इन मौकों पर भी साथ में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र और अत्याधुनिक बंदूकें भी रखते हैं। कलाश जनजाति में घर चलाने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। यहां पर कमाने का अधिकतर काम औरतें करती हैं। यहां की महिलाएं घर पर ही पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं। उनके द्वारा बनाए सामान को पुरुष बेचते हैं। यहां की महिलाएं श्रृंगार करने की शौकीन होती हैं। महिलाएं सिर पर एक खास टोपी और गले में पत्थरों से बनीं माला पहनती हैं। यहां सालभर में तीन त्योहार मनाए जाते हैं। इन मौके पर लड़के और लड़कियां आपस में मुलाकात करते हैं। इस दौरान ही बहुत लोग एक दूसरे से शादी कर लेते हैं।