पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के रामपुर हाट में हुई हृदयविदारक घटना की जितनी भर्त्सना की जाए वह कम है। इस घटना को लेकर राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। मालूम हो कि बरशाल ग्राम पंचायत के उपप्रमुख एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता भादु शेख की हत्या के बाद उनके समर्थकों द्वारा प्रतिशोध में रामपुर हाट के एक दर्जन से ज्यादा घरों में आग लगा दी गई तथा बाहर से दरवाजा बंद कर दिया गया। इस घटना में अब तक कुल दस लोगों की मौत हो चुकी है। एक ही घर से सात लोगों के शवों को निकाला गया है। इस घटना से एक बार फिर ममता सरकार की मंशा पर प्रश्न खड़ा हो गया है। प्रश्न यह उठता है कि भादु शेख की हत्या के बाद जिला प्रशासन द्वारा ऐहतियात के तौर पर सुरक्षात्मक कदम क्यों नहीं उठाया गया? क्या ममता सरकार इस घटना को अंजाम देने का इंतजार कर रही थी? केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा कोलकाता हाईकोर्ट इस घटना को लेकर एक्शन में है। हाईकोर्ट ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित बेंच में सुनवाई शुरू कर दी है। हाईकोर्ट ने 24 मार्च को दो बजे तक राज्य सरकार से घटना पर पूरी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जिला न्यायाधीश की उपस्थिति में उस क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरा लगाने तथा 24 घंटे निगरानी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय सीएफएसएल टीम को साक्ष्य इकट्ठा करने तथा प्रत्यक्षदर्शियों को सुरक्षा दिलाने के लिए निर्देश दिया है। कोर्ट को राज्य सरकार की जांच एजेंसी पर विश्वास नहीं रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने इस घटना के बाद वहां के ओसी तथा एसडीपीओ को बर्खास्त कर दिया है। लेकिन इस तरह की कार्रवाई से भाजपा संतुष्ट नहीं है। रामपुर हाट की घटना की गूंज संसद में भी सुनाई दी। भाजपा के सांसदों ने संसद परिसर में पश्चिम बंगाल की घटना के विरोध में प्रदर्शन किया तथा  इस घटना की जांच सीबीआई या एनआईए से कराने की मांग की है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेन्दु अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी 24 घंटे के भीतर राज्य प्रशासन से इसकी रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार भी इसको लेकर हरकत में है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों ने भी गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है। पश्चिम बंगाल में इस तरह की घटना कोई नई बात नहीं है। विधानसभा का चुनाव परिणाम आने के बाद भी वहां राजनीतिक हिंसा भड़की थी, जिसमें 16 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। ऐसा आरोप था कि तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने भाजपा समर्थकों को निशाना बनाया। कोलकाता हाईकोर्ट इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिस पर कार्रवाई चल रही है। ममता सरकार के शासन में इस तरह की घटनाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है, क्योंकि प्रशासन टीएमसी समर्थकों के साथ नरमी बरत रही है। इस पूरे मामले में कोलकाता हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ममता सरकार के सामने मुश्किलें जरूर बढ़ेगी। केंद्र सरकार भी इस मामले में सख्त कार्रवाई करने के मूड में है। राजनीति में इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र में सबको अपनी इच्छा के अनुसार राजनीतिक दलों को समर्थन देने का अधिकार है। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। रामपुर की घटना के दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।