हिंदू पंचाग के अनुसार कल भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाने वाली है। आप सभी को बता दें कि चैत्र माह की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। जी हां और आप सभी को बता दें कि प्रत्एक माह में दो बार चतुर्थी पड़ती है। इनमे एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। आपको पता ही होगा चतुर्थी तिथि भगवान गणेश  को समर्पित है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और विघ्नहर्ता लोगों के सारे कष्ट हर लेते हैं। आप सभी को बता दें कि भगवान गणेश के भक्त भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की कृपा पाने के लिए व्रत  रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। जी हां और संकष्टी चतुर्थी व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से भक्तों की सभी परेशानियां और दुख दूर होते हैं। अब हम आपको बताते हैं भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त। 

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त-

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थ- 21 मार्च 2022 (सोमवार)। पूजा का शुभ मुहूर्त- 21 मार्च सुबह 8 बजकर 20 मिनट से 22 मार्च सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक। चन्द्रोदय- रात 8 बजकर 23 मिनट पर।