कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनकर जाने को लेकर काफी बवाल मचा था। उसको लेकर देश का राजनीतिक पारा भी हाई हो गया था। कर्नाटक के उड्डपी स्थित सरकारी पीयू कॉलेज से जनवरी में शुरू यह मामला देश के विभिन्न भागों तक पहुंच गया। सरकारी पीयू कॉलेज की छह छात्राओं ने इस मामले को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट दरवाजा खटखटाया। कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल बेंच ने 9 फरवरी को मामले की सुनवाई शुरू की। फिर इस मामले को मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी के नेतृत्व वाले बेंच को सौंप दी गई, जिसकी सुनवाई में दो अन्य न्यायाधीशों ने हिस्सा लिया। 25 फरवरी को सुनवाई पूरी हुई। 74 दिन की सुनवाई के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें हिजाब को इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं माना गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लड़कियां स्कूली यूनिफॉर्म की बाध्यता से इनकार नहीं कर सकतीं। ड्रेसकोड तय करना स्कूल का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि कुरान के अनुसार हिजाब इस्लाम धर्म से जुड़ा नहीं है, संस्कृति का हिस्सा हो सकता है। इसे इस्लाम धर्म की आधारभूत वेशभूषा से नहीं जोड़ा जा सकता। स्कूल-कॉलेजों में ड्रेसकोड बच्चों के बीच सामान्य अनुशासन रखने तथा एक जैसा दिखाने के लिए किया जाता है, जिसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। स्कूल के बाहर लड़कियां या महिलाएं अपने इच्छा के अनुसार ड्रेस पहनने के लिए स्वतंत्र हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी राजनीति रुकने का नाम नहीं ले रही है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला एवं एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर ही सवाल उठा दिए। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी में है। कोर्ट ने माना है कि यह मामला नागरिक के मौलिक अधिकार से जुड़ा हुआ नहीं है। शैक्षणिक सत्र के बीच में इस तरह का मामला उठाना सामाजिक अशांति पैदा करने का षड्यंत्र हो सकता है। सब कुछ ठीक चल रहा था, किंतु उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर अचानक हिजाब का मामला उछल गया। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के उस आदेश पर भी मुहर लगा दी, जिसमें स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेसकोड को अनिवार्य कर दिया गया था। शिक्षण संस्थानों को राजनीति से बाहर रखने की जरूरत है। यहां बच्चों को पढ़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ड्रेसकोड के मामले को उछाल कर लड़कियों को शिक्षा से दूर रखने का जो षड्यंत्र चल रहा है उस पर सबको जागरूक होने की जरूरत है। देश की राजनीतिक पार्टियों को हिजाब के मुद्दे पर अपनी रोटी सेंकने के बजाय राष्ट्रहित एवं महिलाओं के हित पर ध्यान देना चाहिए। इस मुद्दे पर किसी को भी अशांति पैदा करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। शिक्षा के साथ धर्म को जोड़ना किसी भी रूप में जायज नहीं है।
हिजाब पर कोर्ट का फैसला
