पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर चर्चा शुरू हो गई है। चुनाव परिणाम के तुरंत बाद कांग्रेस के जी-23 के नेताओं ने फिर से आलाकमान को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। पार्टी में हो रही चौतरफा आलोचना के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की कार्य समिति की बैठक बुलाकर पूरे मामले पर चर्चा की है। इस बैठक में जी-23 के नेता भी शामिल हुए। बैठक में सोनिया ने गांधी ने कहा कि अगर मां-बेटे के इस्तीफे से पार्टी मजबूत होती है तो हमलोग पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं। लेकिन सोनिया समर्थक नेताओं ने गांधी परिवार का पक्ष लेते हुए कहा कि हमलोग आपके नेतृत्व में ही काम करेंगे। अंत में यह निर्णय हुआ कि अगले चुनाव तक सोनिया गांधी अध्यक्ष बनी रहेंगी। सोनिया समर्थक नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संसद के वर्तमान सत्र के बाद फिर कार्य समिति की बैठक होगी। उसके बाद   चिंतन बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पार्टी की कमजोरी को दूर करने तथा संगठन को मजबूत करने पर विचार किया जाएगा। अभी पार्टी कई गुटों में बंटी हुई है। पांच राज्यों खास पंजाब में कांग्रेस की करारी हार को पार्टी के नेता पचा नहीं पा रहे हैं। पिछले पंजाब विधानसभा में कांग्रेस के 77 विधायक थे, जबकि इस बार केवल 18 विधायक ही विधानसभा पहुंचे हैं। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी शानदार विजय हासिल कर 20 की संख्या से 92 तक पहुंच गई है। पिछले कुछ महीनों से पंजाब में कांग्रेस के भीतर जो घमासान मचा हुआ था उसका नतीजा सामने आया। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए जो ड्रामा किया उससे मतदाताओं में गलत संदेश गया। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने काफी मेहनत की, किंतु उसे वोट में तब्दील नहीं करा सकी। कांग्रेस को केवल दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, जबकि पिछली विधानसभा में उसके पास सात सीटें थी। सबको उम्मीद थी कि उत्तराखंड में कांग्रेस भाजपा को जोरदार टक्कर देगी, किंतु चुनाव परिणाम ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निराश किया। भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 47 सीट जीतकर अपना दबदबा कायम रखा। मणिपुर और गोवा में भी कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले खराब रहा। सोनिया गांधी के कार्यकाल में कांग्रेस से एक के बाद एक राज्य हाथ से निकालता जा रहा है। इसको लेकर कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं में चिंता है। अब समय आ गया है कि कांग्रेस अपनी वर्तमान नीति की समीक्षा करे। ऐसा लगता है कि मतदाता कांग्रेस की नीतियों को पसंद नहीं  कर रहे हैं।