पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शानदार प्रदर्शन रहा। पंजाब को छोड़ बाकी चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर एवं गोवा में फिर से भाजपा की वापसी हुई है। पंजाब में पहले से ही अनुमान लगाया गया था कि वहां भाजपा निर्णायक स्थिति में होगी। आशा के अनुरूप ही पंजाब में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। देश-विदेश के सभी लोगों का ध्यान उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम पर लगा हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन कर दूसरी बार लखनऊ की गद्दी पर कब्जा किया है। यह सही है कि पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा को कम सीट मिली, किंतु पार्टी को अपेक्षा से ज्यादा सफलता मिली है। राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम का विशेष महत्व है। उत्तर प्रदेश से लोकसभा में 80 सांसद जीतकर पहुंचते हैं। इस चुनाव अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) दूसरे नंबर पर रही है, किंतु वह सत्ता तक पहुंचने में विफल रही। इस बार अखिलेश यादव ने कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के साथ समझौता कर जातीय समीकरण साधने की भरसक कोशिश की, किंतु उसको जीत में तब्दील नहीं कर सके। प्रधानमंत्री मोदी के लिए उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था। उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर चल रही थी। तमाम राजनीतिक पंडितों का मानना था कि वहां दोनों पार्टियों के बीच कड़ी प्रतिद्वंद्विता होगी। लेकिन चुनाव परिणाम ने इसको गलत साबित करते हुए भाजपा को बहुमत तक पहुंचा दिया है। उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हार निश्चित रूप से भाजपा के लिए झटका है। मणिपुर में पहले से ही अनुमान था कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व भाजपा दोबारा सत्ता हासिल करेगी। इस बार भाजपा को पहले से ज्यादा सीट मिली है। नेडा के संयोजक डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने इस जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों को श्रेय दिया है। मणिपुर में भाजपा पहले से ज्यादा मजबूती के साथ उभर कर सामने आई है। गोवा में मतगणना के दौरान शुरुआती दौर में जरूर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर चल रही थी, किंतु अंत में भाजपा बहुमत के मुहाने तक पहुंच चुकी है। यहां भाजपा को कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस एवं आप ने कड़ी चुनौती दी थी। पंजाब का चुनाव परिणाम निश्चित रूप से चौंकाने वाला है। वैसे तमाम एग्जिट पोलों में आम आदमी पार्टी की जीत का दावा किया जा रहा था, किंतु इस तरह की भारी जीत होगी इसका अंदाजा नहीं था। आप ने कांग्रेस तथा शिरोमणि अकाली दल की औकात बता दी। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखवीर सिंह बादल, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की हार संबंधित पार्टियों के लिए करारा झटका से कम नहीं है। आप ने पंजाब में दिल्ली मॉडल पर चुनाव लड़कर सबको चौंका दिया है। पंजाब में इस चुनाव में आप एक बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आई है, जिसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर निश्चित रूप से पड़ेगा।