पिछले 13 दिनों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन इस युद्ध को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने की घोषणा कर चुके हैं। रूस के ताबड़-तोड़ हमले में यूक्रेन तबाह हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीका और रूस के बीच चल रही तनातनी का शिकार यूक्रेन बन रहा है। भारत बार-बार शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के द्वारा समस्या का समाधान करने पर जोर दे रहा है। भारत का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक माध्यम से समस्या का हल खोजा जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति बोलोदीमिर जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से युद्ध बंद करवाने के लिए पुतिन से बात करने का अनुरोध किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थियों को निकालने तथा युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस एवं यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से विचार-विमर्श किया है। पुतिन के साथ 55 मिनट तक जबकि जेलेंस्की के साथ 35 मिनट तक बात हुई है। भारत ने दोनों राजनेताओं से सीधी बात करने का अनुरोध किया है ताकि दोनों देशों के बीच मतभेदों को दूर किया जा सके। रूस क्रीमिया को उसका हिस्सा मानने, पूर्वी यूक्रेन के दो प्रांतों को स्वतंत्र देश मानने, यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनने की गारंटी तथा यूक्रेन को परमाणु मुक्त देश बने रहने का लिखित आश्वासन चाहता है। यूक्रेन रूस की इन शर्तों को फिलहाल मानने को तैयार नहीं है। यूरोपीय देश युद्ध आगे बढ़ने से चिंतित हैं क्योंकि पूरा यूरोप इसके चपेटे में आ सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के प्रमुखों को वार्ता की मेज पर आने का आग्रह किया। भारत लगातार दोनों देशों के संपर्क में है, क्योंकि बड़ी संख्या में भारत के विद्यार्थी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। यह संतोष का विषय है कि यूक्रेन के सूमी से फंसे सभी भारतीय विद्यार्थियों को वापस निकाल लिया गया है। बांग्लादेश एवं नेपाल के विद्यार्थी भी ऑपरेशन गंगा के तहत निकाले गए हैं। दुनिया के देश चाहते हैं कि मोदी पुतिन को युद्धविराम के लिए राजी करें, क्योंकि दोनों नेताओं का बेहतर संबंध है। रूस के विदेश मंत्रालय का कहना है कि ईमानदार एवं सम्मानजनक संवाद के द्वारा अमरीका और रूस के संबंध को सामान्य किया जा सकता है। यह तभी संभव है जब यूक्रेन सहित सभी संबद्ध पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए आगे बढ़े। यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया दो खेमों में बंटती नजर आ रही है। यह बड़े खतरे का संकेत है। रूस किसी भी शर्त पर अपनी सीमा के पास अमरीका एवं नाटो देशों के हथियारों का जमावड़ा देखना नहीं चाहता है। रूस इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, चाहे वह परमाणु युद्ध ही क्यों नहीं हो? रूस और यूक्रेन को सभी पूर्वाग्रहों को छोड़कर सच्चे दिल से बातचीत करना चाहिए। युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है।
यूक्रेन युद्ध पर मोदी की पहल
