यूक्रेन में फंसे भारतीयों खासकर विद्यार्थियों को बाहर निकालने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ लांच किया है। अभी तक रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे लगभग दो हजार विद्यार्थियों को बाहर निकाला गया है। लेकिन अभी भी हजारों की संख्या में विद्यार्थी फंसे हुए हैं। ऐसी खबर है कि यूक्रेन में बीस हजार से ज्यादा भारतीय रहते हैं, जिसमें ज्यादातर तकनीकी संस्थानों एवं मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थी हैं। भारत के लिए बुरी खबर यह है कि यूक्रेन में रूसी हमले के दौरान एक भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मौत हो गई है। कर्नाटक रहने वाला यह युवक यूक्रेन में पढ़ाई कर रहा था। भारत सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए भारत स्थित रूस एवं यूक्रेन दोनों के राजदूतों को तलब किया है। भारत ने यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए सैफ पैकेज देने का अनुरोध किया है। यूक्रेन स्थित भारतीय राजदूत को भी नागरिकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए वहां के प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में रहने को कहा गया है। युद्ध की विभीषिका बढ़ने के साथ ही भारत ने एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों को तुरंत यूक्रेन छोड़कर उसके पड़ोसी देशों में जाने का निर्देश दिया है। अभी भी हजारों लोग यूक्रेन के विभिन्न जगहों में तथा सुरक्षित बंकरों में छिपे हुए हैं। मोदी सरकार अपने नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के लिए लगातार उच्च स्तरीय बैठक कर रही है। केंद्र सरकार के चार मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में विशेष दूत के रूप में काम करने का निर्देश दिया गया है। मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानिया एवं मोल्दोवा, मंत्री हरीश पुरी को हंगरी, मंत्री किरेन रिजीजू को स्लोवाकिया एवं मंत्री वीके सिंह को पोलैंड का दायित्व दिया गया है। भारत सरकार यूक्रेन से अपने नागरिकों को बाहर निकालने को उच्च प्राथमिकता दे रही है। पिछले 24 फरवरी से शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। वहां रहने वाले लोगों के जान-माल की सुरक्षा खतरे में है। लोग अपनी जान बचाने के लिए बंकरों में शरण लिये हुए हैं, जहां खाने-पीने की समस्या भी पैदा हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऑपरेशन गंगा के लिए अब वायुसेना को भी तैयार रहने को कहा है। वायुसेना के सी-17 विमान को यूक्रेन में राहत पहुंचाने तथा भारतीयों को लाने के काम में लगाया जा रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने देश के सांसदों को यह भरोसा दिया है कि उनके क्षेत्र के यूक्रेन में रहने वाले लोगों की सुरक्षित वापसी का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने सांसदों से कहा कि वे विदेश मंत्रालय के संपर्क में रहें। लोग अपने क्षेत्र के सांसदों से मिलकर यूक्रेन में रहने वाले अपने बच्चों तथा रिश्तेदारों की सकुशल वापसी में सहयोग का अनुरोध कर रहे हैं। भारत द्वारा इस युद्ध में तटस्थ भूमिका अपनाये जाने से नाराज होकर कुछ क्षेत्रों में यूक्रेनी सेना एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विद्यार्थियों को मदद नहीं दी जा रही है तथा डराया-धमकाया जा रहा है। इस मामले को भारत सरकार को यूक्रेन के साथ उठाना चाहिए। भारत ने अफगानिस्तान युद्ध के वक्त भी अपने नागरिकों को वहां से बाहर निकालने के लिए विशेष प्रयास किया था। उस वक्त भारत ने पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी अफगानिस्तान से बाहर निकालने में मदद की थी। यहां भी भारत दूसरे देशों के नागरिकों को बाहर निकालने में मदद देने को तैयार है। रूस के ताबड़तोड़ हमले ने यूक्रेन को तबाह कर दिया है, जहां अब भारतीय नागरिकों का रहना जोखिम भरा है। मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा चलाकर सराहनीय पहल की है। उम्मीद है कि बाकी बचे नागरिकों की भी जल्द वापसी हो जाएगी।