रूस-यूक्रेन संकट ने ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों को तेज कर दिया है,जो105 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंची है। ऐसे में उच्च मुद्रास्फीति के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने की संभावना है।  इस समय भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आयात करता है, जो सालाना करीब 150 अरब डॉलर है। कच्चे तेल की कीमतों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी का पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों पर सीधा असर होगा। हालांकि भारतीय तेल कंपनियों ने फिलहाल तेल की कीमतों में बदलाव नहीं किया है। सितंबर 2014 के बाद पहली बार बृृहस्पतिवार 24 फरवरी को कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जाकर 105 तक जा पहुंचा। रूस और यूक्रेन में तनाव अक्तूबर 2021 में बढ़ना शुरू हुआ,उस वक्त क्रूड आयल 85 डॉलर प्रति बैरल पर था,उस वक्त से लेकर अब तक इसकी कीमत में करीब 24 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई है,लेकिन भारत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के कारण पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर हैं।  इन चुनावों के परिणामों का ऐलान 10 मार्च का होगा। ऐसे में अंदेशा है कि परिणाम के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम तेजी से बढ़ेंगे। कच्चे तेल की इतनी ऊंची कीमतों से खुदरा ईंधन की कीमतों में करीब 8-10 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी होगी और इससे महंगाई का दबाव बढ़ सकता है।  अमरीकी राष्ट्रपति जो.बाइडेन ने कहा कि दुनिया की प्रार्थना यूक्रेनी जनता के साथ है। अमरीका की मानें तो राष्ट्रपति पुतिन ने जानबूझकर युद्ध शुरू किया है।  इसके चलते होने वाली मौतों और बर्बादी का जिम्मेदार केवल रूस है। अमरीका और उसके साथी देश संगठित होकर मजबूती से इसका जवाब देंगे। पूरी दुनिया रूस को जिम्मेदार मानेगी। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव का असर भारतीय रुपए पर भी देखने को मिला। बीते बृहस्पतिवार को डॉलर के मुकाबले रुपए एक फीसदी कमजोर हुआ। केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी घटाई थी और उसके बाद राज्यों ने भी अपने यहां लगने वाले वैट में कटौती की थी। जानकारों का कहना है कि यूक्रेन संकट का सीधा असर भारत की आम जनता पर भी पड़ेगा। पेट्रोल-डीजल, गैस, खाद्य तेल और गेहूं जैसी कमोडिटीज महंगी होंगी। प्राकृतिक गैस महंगी होने से फर्टिलाइजर, बिजली और ऐसे सभी रसायनों के दाम बढ़ेंगे जिनके उत्पादन में गैस का इस्तेमाल होता है। भारत को पूरी दुनिया में रूस अकेले 12 प्रतिशत के करीब कच्चे तेल का उत्पादन करता है। बाकी देशों के अलावा भारत रूस से कच्चा तेल,गैस, सैन्य उपकरण आदि खरीदता है। पिछले साल दोनों देशों के बीच करीब 8 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार हुआ था। रूस ही नहीं भारत और यूक्रेन के बीच भी अच्छे कारोबारी रिश्ते हैं। एशिया प्रशांत में यू्क्रेन सबसे अधिक भारत को ही निर्यात करता है। भारत यूक्रेन से दवा, मशीन, रसायन,पॉलीमर और खाने का तेल खरीदता है। ऐसे में रूस और यूक्रेन के बीच जो संकट खड़ा हुआ है उसका दायरा सिर्फ दो देशों के बीच सीमित नहीं बल्कि यह काफी बड़ा है,संकट को जल्द सुलझा लेने से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी से उतरने से रोका जा सकता है,जो पहले ही कोरोना महामारी की वजह से कमजोर स्थिति में है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि युद्ध के कारण पूरी दुनिया प्रभावित होती है। इसका सीधा असर वैश्विक स्तर पर पड़ता है। खासतौर पर भारत जैसे विकासशील देश ऐसी स्थिति में बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इस बात का ख्याल रूस सहित सभी देशों को करना चाहिए।