रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए यूक्रेन के दो प्रांतों लुहांस्क एवं डोनेट्स्क को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है। वहां रहने वाले अलगाववादी लोगों की सहायता के लिए रूस ने अपनी फौज भेजनी शुरू कर दी है। रूस की इस कार्रवाई के बाद बवाल मच गया है। जहां अमरीका तथा यूरोपीय संघ के देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी है, वहीं यूक्रेन ने अपनी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने का ऐलान कर दिया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की ने कहा है कि हम किसी से डरते नहीं। यूक्रेन अपनी एक-एक इंच भूमि की रक्षा करेगा। यूक्रेन के दोनों प्रांतों में विस्फोटक स्थिति बनी हुई है। अगर यहां यूक्रेन और रूस की सेना के बीच सीधे टकराव हुआ तो स्थिति विश्वयुद्ध तक पहुंच सकती है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि अमरीका टकराव नहीं चाहता, किंतु अगर रूस अपने फैसले से पीछे नहीं हटा तो अमरीका और कड़ा प्रतिबंध लगाएगा। अमरीका ने इस बारे में पहल भी शुरू कर दी है। ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों के लेन-देन पर पाबंदी लगा दी है, जबकि जर्मनी नॉड स्ट्रीम प्राकृतिक गैस परियोजना फेस-2 का काम फिलहाल बंद कर दिया है। इस गैस परियोजना के बंद होने से रूस को करोड़ों डॉलर का नुकसान होगा। आस्ट्रेलिया तथा जापान ने भी प्रतिबंधों की घोषणा की है। आस्ट्रेलिया ने निवेश व्यापार एवं वित्त पोषण पर रोक लगाया है, जबकि यूरोपीय संघ रूस के राजनेताओं एवं उद्योगपतियों पर पाबंदी लगा रहा है। अमरीका और उसके सहयोगी राष्ट्रों के कड़े प्रतिबंधों के बावजूद रूस अपने फैसले पर अडिग है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भी रूस का कड़ा रुख देखने को सामने आया। भारत सहित कुछ देश वर्तमान संकट का समाधान कूटनीतिक तरीकों से हल करने के पक्ष में है। भारत का मानना है कि शांतिपूर्ण तरीके से समस्या का समाधान संभव है। इस पूरे मामले पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। अभी तक संयुक्त राष्ट्र बड़ी समस्या का समाधान करने में विफल रहा है। तालिबान के मुद्दे पर भी संयुक्त राष्ट्र की भूमिका काफी लचर रही है। जिस मामले में ताकतवर देश शामिल होते हैं वहां संयुक्त राष्ट्र केवल बयान देकर ही अपने कर्तव्यों की पूर्ति कर लेता है। यूक्रेन के मुद्दे पर दुनिया बंटती नजर आ रही है। यूक्रेन के पक्ष में अमरीका सहित नाटो के देश खड़े हैं, जबकि रूस के पक्ष में आस्टि्रया, हंगरी, चीन जैसे देश हैं। भारत का अमरीका एवं रूस दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध है। ऐसी स्थिति में भारत को निष्पक्ष भूमिका निभानी पड़ रही है। युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। दुनिया के देशों को अपने राजनीतिक स्वार्थ को छोड़कर इस विस्फोटक समस्या के समाधान के लिए आगे आना चाहिए। रूस और अमरीका को यूक्रेन संकट को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई नहीं बनानी चाहिए।
विश्वयुद्ध का खतरा
