आमतौर पर हम देखते हैं कि वसंत यानी कि स्पि्रंग सीजन में लोग काफी बीमार पड़ते हैं। यह वह मौसम होता है जब ठंड जाती रहती है और मौसम में आ रहे इस बदलाव की वजह से खासी, सर्दी, डाइजेशन कमजोर होने जैसी समस्याएं आने लगती हैं। फिलहाल वसंत ऋतु की शुरुआत हो चुकी है और दिन के समय सूरज की गर्मी भी बढ़ रही है। अगर आप भी खांसी, सर्दी, जुकाम से परेशान रहते हैं तो आयुर्वेद की कुछ बातों को ध्यान में रखकर इन समस्याओं से बच सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय में कफ दोष बढ़ने लगता है जिसकी वजह से इस मौसम में अग्नि तत्व में कमी आने लगती है और डाइजेशन ठीक से ना हो पाने की समस्या बढ़ती है। जानिए, वसंत के मौसम में अपने खान पान में क्या अंतर कर सकते हैं और खुद को हेल्दी रख सकते हैं।

वसंत में खान-पान में इन चीजों का रखें ध्यान :

*वसंत ऋतु में अच्छी पाचन शक्ति बनाए रखने के लिए डाइट का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है।

*इस मौसम में ओवरइटिंग से जहां तक हो सके बचना चाहिए, जब भूख लगे, तभी खाना चाहिए।

*आयुर्वेद के अनुसार वसंत ऋतु में अधिक मीठी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

* वसंत में खट्टा, बहुत ज्यादा नमकीन या तैलीय भोजन भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से कफ दोष बढ़ सकता है।

*इस मौसम में उड़द दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।

*इस मौसम में पूड़ी-कचौड़ी जैसे हैवी फूड से भी बचना चाहिए।

* इस मौसम में खाने के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे भी कफ दोष बढ़ने की आशंका होती है।

*आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखने से कफ को बढ़ने से रोका जा सकता है।

* इस मौसम में तिक्त रस वाली चीजें जैसे कि करेला, परवल, कटु रस वाली चीजें जैसे कि सूप आदि लेना अच्छा रहता है।

* इस बात का भी ध्यान रखें कि गरिष्ठ भोजन के बजाय इस मौसम में हल्का खाना खाएं, जिसे पचाना आसान हो जैसे कि मूंगदाल, खिचड़ी, दलिया आदि।

* पौष्टिक तत्वों से युक्त लौकी, पत्ता गोभी, गाजर, पालक, मटर जैसी सब्जियां भी अपनी डाइट में शामिल करनी चाहिए।

*अगर इस मौसम में शहद और गुनगुने पानी का सेवन किया जाए तो इससे भी कफ दोष बढ़ने से रोका जा सकता है और सर्दी-खांसी में राहत मिलती है।