हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति एवं तानाशाही को रोकने और क्षेत्रीय अखंडता को कायम रखने के लिए क्वाड समूह की बैठक काफी महत्वपूर्ण है। आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में भारत, अमरीका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में उपरोक्त मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। कोरोना काल के बाद क्वाड के विदेश मंत्रियों की पहली बार आमने-सामने बैठक हुई है। अमरीका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। अफगानिस्तान के मामले में अमरीकी भूमिका पर जिस तरह सवाल उठ रहे हैं, उसको देखते हुए अमरीका यह साबित करने में लगा है कि वह अपने सहयोगी देशों के साथ मजबूती से खड़ा है। यूक्रेन, ताइवान एवं भारत के मुद्दे पर अमरीका लगातार बयान दे रहा है कि वह हर मुसीबत में अपने सहयोगी देशों के साथ काम कर रहा है। क्वाड की बैठक में चीन की बढ़ती आक्रामकता, हिंद महासागर की स्थिति, सीमा पार आतंकवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर सभी देशों ने अपने विचार रखे। क्वाड की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मुंबई हमले में शामिल आतंकियों को कड़ी सजा मिले। सितंबर 2019 में अमरीका के न्यूयार्क में क्वाड की पहली बैठक हुई थी। उसके बाद अक्तूबर 2020 में तोक्यो में क्वाड सदस्य देशों के बीच विचार-विमर्श हुआ था। बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण फरवरी 2021 में ऑनलाइन बैठक हुई थी। क्वाड के सभी देश चाहते हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र स्वतंत्र नौवहन के लिए खुला रहे। लेकिन सबको मालूम है कि चीन दक्षिण एवं उत्तर चीन सागर पर अपना अधिकार जताता है। चीन के पड़ोसी देश बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, क्योंकि चीन की ताकत के समक्ष वे अपने आपको असहाय महसूस करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से चीन आर्थिक, कूटनीतिक, सैन्य एवं तकनीकी ताकत जोड़कर शक्तिशाली बनने की ओर अग्रसर है। पड़ोसी देशों को आर्थिक एवं सैनिक धौंस जमाकर डराने का प्रयास करता है। भारत के साथ भी चीन दादागिरी दिखाने से बाज नहीं आ रहा है। लद्दाख से लेकर अरुणचल प्रदेश तक चीन लगातार घुसपैठ की कोशिश करता आ रहा है। मोदी सरकार ने जिस तरह चीन को माकूल जवाब दिया है, उसको देखते हुए अब चीन के पड़ोसी देशों को भी हिम्मत बढ़ी है। चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमरीका भी चीन से पीड़ित देशों के साथ आकर खड़ा हो गया है। क्वाड का गठन इसी रणनीति का एक हिस्सा है। भविष्य में इस संगठन के साथ न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, फिलीपींस जैसे देश आ सकते हैं। ताइवान को लेकर चीन और अमरीका के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है। ताइवान की रक्षा के लिए अमरीका के जंगी बेड़े दक्षिणी एवं उत्तर चीन सागर लगातार गश्त लगा रहे हैं। अमरीका दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में अपना प्रभाव जमाना चाहता है, ताकि चीन के बढ़ते कदमों को रोका जा सके। अमरीका को मालूम है कि इस क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए भारत का साथ जरूरी है। इसको देखते हुए अमरीकी प्रशासन लगातार भारत के पक्ष में बयान दे रहा है। चीन से मुकाबला करने के लिए भारत को भी अमरीका का साथ होना जरूरी है। क्वाड के सक्रिय होने से निश्चित रूप से चीन पर दबाव बढ़ेगा। इसका उदाहरण क्वाड की बैठक के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि क्वाड चीन को नियंत्रित करने के लिए एक उपकरण की तरह काम कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में अंतर्राष्ट्रीय समुद्र में नौवहन की स्वतंत्रता जरूरी है। सभी देशों को राष्ट्रीय संप्रभुता की सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय नियमों के पालन तथा निष्पक्षता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। अमरीका क्वाड से और देशों को जोड़कर इस संगठन को मजबूत करना चाहता है, ताकि चीन के किसी भी चुनौती का मुकाबला किया जा सके। क्वाड का मजबूत होना रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत के हित में है।