गुवाहाटीः असम साहित्य सभा ने असम की पुरानी व पारंपरिक लोक कथाओं व कहानियों को डिजिटल रूप देने की अनोखी पहल शुरू की है। इसके साथ ही आज 500 पुस्तकों के डिजिटल आर्काइव  का उद्घाटन किया गया। 105 वर्ष पूरे होने पर सभा ने आज एमट्रॉन के सहयोग से एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए डिजिटल आर्काइव शुरू किया। असम की प्राचीन व विख्यात पुस्तकों को डिजिटल रूप देनेवाले इस पुस्तकालय का शुभारंभ कॉटन विश्वविद्यालय के उपाचार्य डॉं. भवेश चंद्र गोस्वामी ने किया। सिर सनेही मोर भाषा जननी से शुरू होनेवाले कार्यक्रम में सभा के मुख्य सचिव यादव चंद्र शर्मा ने उद्देश्य व्याख्या की, जिसमें उन्होंने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। असम साहित्य सभा के भगवती प्रसाद बरूवा कार्यालय के राधा गोविद बरूवा स्मृति सदन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सभा के अध्यक्ष डॉ. कुलधर  सैकिया ने किया। आगे उन्होंने कहा कि सभा का यह  डिजिटल पुस्तकालय सभा के केंद्रीय कार्यालय तथा गुवाहाटी कार्यालय में संरक्षित होनेवाली पुस्तकों के साथ असम के कई शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों द्वारा डिजिटल की गई कई पुस्तकों को भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तकालय हर असमिया लोगों की अपनी संपत्ति है। यह मैं आशा व्यक्त करता हूं इच्छुक राज्यवासी विशेष रूप से संग्रहित नई तथा पुरानी पुस्तकों को इस पुस्तकालय में भेजेंगे। इसमें राज्यवासियों का भरपूर  सहयोग की जरूरत  है, साथ ही सभी को कॉपी राईट संबंधित विषय के लिए सचेत होने को कहा। उन्होंने कहा कि असम में नौकरी करनेवाले गैैर असमिया भाषी लोगों में असमिया सीखने के प्रति रुचि बढ़ी है। गुवाहाटी आईआईटी में 20 सीटों से शुरू होनेवाले असमिया की संख्या बढ़कर 200 से अधिक हो गई है। इस मौके पर असम ट्रिब्यून के कार्यकारी संपादक प्रशांत ज्योति बरूवा तथा मृदुल कुमार शर्मा,वरिष्ठ पत्रकार मृणाल तालुकदार, एमट्रॉन के निदेशक एमके यादव, डॉ. अनिल सैकिया, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी स्वप्निल बरूवा, डॉ.गीतार्थ पाठक के साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।