कोरोना ने मनुष्य की जीवनधारा बदलकर रख दी,इसने सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं किया,बल्कि हमारी आर्थिक और सामाजिक स्थिति भी बदल दी, इसके कारण कुछ लोगों को बुरी लत लग गई तो कुछेक के लिए यह बर्बादी वाली आदतों को छोड़ने का माध्यम बना। सच है कि साल 2020 और 2021 में पूरी दुनिया में तालाबंदी लागू करवा देने वाले कोरोना वायरस से अभी तक निजात नहीं मिली है। दुनिया की एक बड़ी आबादी का टीकाकरण हो चुका है। ओमिक्रोन संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच शराब और सिगरेट पीने की लत भी बढ़ रही है। एडिक्शन जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक इंग्लैंड में लगे पहले लॉकडाउन के दौरान महामारी से पहले की तुलना में 45 लाख से ज्यादा वयस्कों ने शराब पीना शुरू कर दिया। यह करीब 40 फीसदी की वृद्धि थी। यह प्रवृति महिलाओं के साथ-साथ निम्न आय वाले लोगों में भी देखने को मिली,जो काफी चिंताजनक है। पहले लॉकडाउन के दौरान 6,52,000 युवाओं को धूम्रपान की लत लगी। अक्तूबर 2021 में यूरोपियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि फ्रांस में पहली बार मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद धूम्रपान करने वाले मौजूदा लोगों में 27 फीसदी ने बताया कि उनकी तम्बाकू की खपत बढ़ गई,वहीं 19 प्रतिशत ने कहा कि उनकी तम्बाकू की खपत कम हो गई है। जिन लोगों के बीच तम्बाकू की खपत बढ़ी उनमें ज्यादातर की उम्र 18 से 34 साल के बीच थी। साथ ही वे उच्च शिक्षित लोग भी थे। शराब पीने वाले 11 फीसदी लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से उनकी शराब की खपत बढ़ गई है, वहीं 24.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने पीना कम कर दिया है। जिन लोगों के बीच शराब की खपत बढ़ी है उनकी उम्र 18 से 49 साल के बीच है। जर्मनी में कुछ सिगरेट के विज्ञापनों की अभी भी अनुमति है। यहां भी सिगरेट पीने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। धूम्रपान की आदतों को लेकर जर्मनी में लंबे समय तक किए गए अध्ययन के मुताबिक 2019 में 14 साल से ज्यादा उम्र के 27 फीसदी लोग सिगरेट पीते थे। अभी यह संख्या बढ़कर 31 फीसदी हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक शराब पीने की वजह से हर साल पूरी दुनिया में करीब 30 लाख लोगों की मौत होती है। दुनिया में होने वाली 5.1 फीसदी बीमारियों के लिए शराब जिम्मेदार है। शराब पीने से स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ता है। शराब के अत्यधिक सेवन की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, हृदय से जुड़े रोग, स्ट्रोक और लीवर से जुड़ी बीमारियां सहित कई और तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हो सकता है। साथ ही शरीर कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकती है। तंबाकू सेवन की वजह से मरने वाले लोगों की संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ गई है। दुनिया भर में हर साल करीब 80 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन की वजह से होती है। इनमें 12 लाख ऐसे लोग भी शामिल हैं जो धूम्रपान नहीं करते हैं, लेकिन धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास मौजूद रहते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में 138 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं, इनमें से 80 फीसदी लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। पहले जो लोग शाम में आनंद के लिए नियमित तौर पर घर पर शराब पीते थे, महामारी के दौरान वे अकेलापन, तनाव और उदासी की वजह से ज्यादा शराब पीने लगे। लॉकडाउन को कई लोगों ने धूम्रपान छोड़ने के अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया। वहीं,कई लोग तनाव की वजह धूम्रपान करने लगे। कुछ पहले की तुलना में ज्यादा धूम्रपान करने लगे। कोरोना के साइड इफेक्ट से बचने की जरूरत है।
कोरोना और ध्रूमपान
