गुवाहाटी : वर्धमान महावीर ओपन युनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर डॉ.रतनलाल गोदारा का कहना है कि नई शिक्षा नीति अच्छी सोच का नतीजा है,परंतु इसे धरातल पर फलीभूत करना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। इसे सफल बनाने के लिए प्राध्यापकों से लेकर बड़े पैमाने पर अन्य कई संसाधनों की जरूरत है, जो अभी करना बाकी है। डॉ. गोदारा ने उपरोक्त आशय की बातें आज बुधवार को जीएल पब्लिकेशंस  परिसर में पधारने के दौरान कही। उल्लेखनीय है कि डॉ.गोदारा ने इस मौके पर जीएल पब्लिकेशंस के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) समीर अग्रवाला से मुलाकात की। उन्होंने  श्री अग्रवाला के साथ असम सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में शिक्षा की स्थिति सहित अन्य विषयों पर चर्चा की। डॉ.गोदारा ने पूर्वांचल प्रहरी के साथ बातचीत में कहा कि नई शिक्षा नीति को व्यवहार में लाना होगा और इसे सबके लिए सरल और सुलभ बनाना होगा तभी इसके उद्देश्य की पूर्ति हो सकेगी। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय राजस्थान का खुला विश्वविद्यालय है और कोटा में स्थित है। इसकी स्थापना 23 जुलाई 1987 को हुई थी। इस विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम विशेष रूप से मानविकी, वाणिज्य, पुस्तकालय विज्ञान तथा सूचना विज्ञान पर आधारित है। इसका लक्ष्य पारंपरिक शिक्षा से वंचित लोगों को शिक्षित करना है। प्रो. गोदारा ने आज मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक के साथ नई शिक्षानीति के क्रियान्वयन पर चर्चा की। दूसरी ओर राज्यपाल ने 24 फरवरी को कोटा में होनेवाले विवि के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान फिलहाल शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और कोटा आज पूरे देश में शिक्षा के हब के रूप में पहचाना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि डॉ. गोदारा दिसपुर स्थित नेड्फी हाउस में भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) की ओर से आयोजित एक सेमिनार में शिरकत करने के लिए गुवाहाटी आए थे, जिसमें देशभर से विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति पधारे थे। इस मौके पर नई शिक्षा नीति के तहत दिव्यांग (शारीरिक रुप से अक्षम) बच्चों को कैसे शिक्षित किया जाए इस पर विद्वान वक्ताओं ने अपनी-अपनी राय रखी।