पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना, अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए दीर्घकालिक परेशानी का सबब बन सकती है। चीन ने अपने देश में जिस तरह आंतरिक उत्पीड़न,तानाशाही और मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाकर एक बंद तथा अमानवीय वातावरण निर्मित किया है, उससे वैश्विक रणनीति तथा राजनीति में दूरगामी परिणामों में बहुत ज्यादा फर्क पड़ने की संभावना बलवती हो सकती है। चीन में सेना में भर्ती होना नौजवानों के लिए स्वैच्छिक न होकर अत्यंत आवश्यक है। वहां हर नौजवान पर सेना में भर्ती होने का भीषण दबाव रहता है, इसीलिए नौजवान खुशी से सेना में अपनी सेवाएं देने से घबराकर हिचकिचाते भी हैं। चीन पाकिस्तान को छोड़कर न सिर्फ भारत बल्कि अन्य पड़ोसी देशों के साथ पूरे विश्व में विस्तारवादी नीतियों के लिए कुख्यात है और विगत दिनों भारत की लद्दाख की सीमा पर एलएसी पर जो अतिक्रमण किया एवं दीर्घकालिक भारतीय अधिकारियों के साथ वार्ता कर कुछ पीछे जाकर केवल औपचारिकता ही पूरी की हैं। संपूर्ण रूप से वह पीछे नहीं हटा है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के पदाधिकारी किसी भी हालात में भारत को चैन से रहने नहीं देने पर अडिग हैं, पर भारत के संदर्भ में यह बात अत्यंत चिंतनीय की चाइना अपने वचन पर कभी भी यू-टर्न ले सकता है। चीन अन्य देशों के साथ साथ अमरीका जैसी महाशक्ति एवं सहयोगी देशों के लिए भी धीरे-धीरे खतरनाक होते जा रहा है। अमरीका में रक्षा विभाग पेंटागन के अनुसार चीन ने 21वीं सदी में दीर्घकालिक रणनीतिक एवं सामरिक खतरा पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन की अंतरिक कम्युनिस्ट पार्टी अपनी सरकार पर दबाव डालकर एलएसी में अपनी भूमि बढ़ाने का काम तेजी से करने के प्रयास में है एवं अपनी तमाम शक्तियों को बढ़ाने में लगा है।
संजीव ठाकुर
रायपुर (छत्तीसगढ़)
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