चीन की विस्तारवादी नीति से उसके सभी पड़ोसी देश त्रस्त हैं। भारत भी चीन की साजिश का शिकार हो रहा है। ड्रैगन एक ऐेसा कुटिल देश है जो किसी का भी सगा नहीं हो सकता। उसके खिलाफ सभी देशों को सजग रहना पड़ेगा। चीन पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत के लिए लगातार समस्या पैदा कर रहा है। ऐसी स्थिति में चीन के खिलाफ रणनीति बनाना आवश्यक है। हाल ही में भारत ने चीनी मामलों के जानकार प्रदीप रावत को चीन में अपना राजदूत नियुक्त किया है। प्रदीप रावत चीन की सरकारी भाषा मंदारिन के अच्छे जानकार माने जाते हैं तथा वे धाराप्रवाह बोल भी सकते हैं। रावत के लिए चीन कोई नया नहीं है क्योंकि वे चीन एवं हांगकांग में काम कर चुके हैं। वे वर्ष 2014-2017 तक ईस्ट एशिया मामलों के संयुक्त सचिव थे। इनके ऊपर चीनी नीतियों की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। दूसरी बात यह है कि चीन में भारत के निवर्तमान राजदूत विक्रम मिसरी को उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है। इन दोनों नियुक्तियों से ऐसा लगता है कि भारत चीन को फोकस में रखकर अपनी रणनीतिक एवं कूटनीतिक तैयारी करने में लगा हुआ है। भारत भी अपनी सामरिक तैयारी में कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं है। हाल ही में चीन ने तीन वार शिप तैयार कर थाईलैंड एवं पाकिस्तान को सौंपा है। चीन इन दो देशों के माध्यम से भारत के लिए हिंद महासागर एवं अरब सागर में चुनौती पेश करने में लगा हुआ है। मामले की गंभीरता को समझते हुए भारत नौसेना को विकसित करने में जोर-शोर से लगा हुआ है। घातक मिसाइलों के लगातार हो रहे परीक्षण इसी रणनीति का एक हिस्सा है। अमरीका भी चीन को घेरने के लिए व्यापक रणनीति के तहत काम कर रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल में 768 बिलियन डॉलर के रक्षा बजट पर हस्ताक्षर किए हैं। इस धनराशि से सैन्य निर्माण बढ़ाया जाएगा तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के नेटवर्क को मजबूत किया जाएगा। यह काम हिंद प्रशांत क्षेत्र को ध्यान में रखकर किया जा रहा हा। अमरीका पूर्वी क्षेत्र में जापान, दक्षिण कोरिया एवं आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर चीन की घेराबंदी करने में लगा हुआ है। दूसरी तरफ पश्चिम क्षेत्र में अमरीका भारत के साथ मिलकर चीन को अंकुश में रखने के लिए कदम उठा रहा है। चीन की चुनौती को ध्यान में रखकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने सैनिकों, घातक हथियारों एवं युद्धपोतों के संख्या में वृद्धि कर रहा है। ताइवान एवं तिब्बत को लेकर अमरीका ने विशेष रणनीति बनाई है। भारत को भी इसमें साथ रखने के लिए चीन ने भारतीय मूल की अमरीकी नागरिक को तिब्बत के मामलों के लिए अपना वार्ताकार नियुक्त किया है। चीन के अन्य पड़ोसी देश फिलीपींस, वियतनाम सहित कई देश उसकी दादागिरी से परेशान हैं। अगर चीन के अंकुश में रखना है तो आसपास के सभी देशों को मिलकर उसका मुकाबला करना होगा। चीन के पड़ोसी देश भारत की तरफ आशी भरी नजरों से देख रहे हैं। सुपर पॉवर अमरीका को इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाना होगा। आर्थिक एवं सामरिक क्षेत्र में चीन अमरीका के लिए चुनौती प्रस्तुत कर रहा है। भारत को भी बढ़ते खतरे को देखते हुए अपना सामरिक तैयारी और तेज करनी होगी। यह अच्छी बात है कि नरेंद्र मोदी सरकार सामरिक एवं कूटनीतिक दोनों ही क्षेत्रों में माकूल जवाब दे रही है।
चीन के खिलाफ रणनीति
