पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय खासकर हिंदुओं एवं सिखों पर लगातार हमले हो रहे हैं। वहां के कट्टरपंथी तत्व बेखौफ होकर हमलों को अंजाम दे रहे हैं, क्योंकि सरकार एवं प्रशासन मूकदर्शक बनकर तमाशा देखती रहती है। ज्यादा हंगामा होने एवं अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ने पर सरकार कार्रवाई करने का दिखावा कर अपना दामन बचाने की कोशिश करती है। लेकिन वास्तव में जमीनी हकीकत कुछ और है। अपराधियों को दिखावा के लिए पकड़ा जाता है तथा वे फिर छूटकर अपना तांडव शुरू कर देते हैं। हाल ही में कराची के पुराने शहर नारायणपुरा में सोमवार को दो अपराधियों ने ऐतिहासिक नारायण मंदिर में घुसकर तोड़-फोड़ शुरू कर दी और देवी-देवताओं की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। हिंदू समाज के लोगों द्वारा थाने के बाहर प्रदर्शन करने के बाद पुलिस हरकत में आई तथा वह दिखावे के लिए मुख्य अपराधी मोहम्मद वलीद शब्बीर को गिरफ्तार किया। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक वहां इस तरह की घटनाएं नहीं हुई थी। यह केवल अकेली घटना नहीं है, बल्कि इससे पहले पाकिस्तान में पिछले नौ महीनों के दौरान नौ हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाएं हुई हैं। पिछले अक्तूबर में सिंध प्रांत में स्थित कोटरी शहर के ऐतिहासिक मंदिर में उपद्रवियों ने घुसकर मंदिर को अपवित्र किया था। इससे पहले अगस्त महीने में पंजाब के रहीमयार खान जिले के गणेश मंदिर में 200 लोगों की भीड़ ने मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ की। कट्टरपंथी नेताओं की उपस्थिति में सरेआम इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया गया। मार्च में रावलपिंडी स्थित सौ वर्षों से ज्यादा पुराना मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया। इससे पहले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित सदियों पुराने श्री परमहंस जी महाराज के मंदिर को तहस-नहस किया गया। पाकिस्तान में अभी 90 लाख से ज्यादा हिंदू रहते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 75 लाख हिंदू सिंध प्रांत में रहते हैं। पाक में कट्टरपंथियों के अत्याचार बढ़ने के के कारण वहां रहने वाले हिंदू समाज के लोग काफी आतंकित हैं। वहां उनका जीवन नारकीय हो गया है। हिंदू एवं सिख समाज के बहुत-से लोग मौका मिलने पर पाकिस्तान छोड़कर भारत आ रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होने के बाद कट्टरपंथियों के हौसले बुलंद हैं। आतंकी गतिविधियों में भी तेजी आई है। इसका उदाहरण यह है कि हाल ही में कट्टरपंथियों ने श्रीलंका के नागरिक की पीट-पीटकर हत्या कर दी तथा उसे आग के हवाले कर दिया था। कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने ईश निंदा के आरोप पर यह कार्रवाई की थी। कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन द्वारा इस तरह कानून को हाथ में लेने को किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इमरान सरकार इन कट्टरपंथियों के आगे नतमस्तक हो चुकी है। प्रशासन हमेशा इनके बचाव खड़ा रहता है। भारत को वहां रहने वाले हिंदुओं एवं सिखों पर होने वाले अत्याचार को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जोरदार तरीके से उठाना चाहिए। पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। यही कारण है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इस तरह की घटना को गंभीरता से लेना होगा।