कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के चुनाव में एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शानदार जीत दर्ज की है। केएमसी के 144 वार्डों में से 130 से ज्यादा वार्डों में जीत दर्ज कर टीएमसी ने यह साबित कर दिया है कि उसका जलवा अभी भी बरकरार है। सात महीने पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने प्रचंड जीत के साथ वापसी की थी। उस चुनाव में भाजपा को जबरदस्त धक्का लगा था। इस चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। केएमसी के अधिकांश वार्डों में माकपा के नेतृत्व वाले वाम गठबंधन ने टीएमसी को कड़ी टक्कर दी है। माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती का कहना है कि वाम मोर्चो अधिकतर वार्डों में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव निष्पक्ष हुए होते तो हमारे नतीजे बहुत बेहतर होते। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रचंड के विजय के लिए कोलकाता के लोगों का आभार जताया है। उन्होंने इस जीत को मां, माटी, मानुष समर्पित किया है। भाजपा नेता शामिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह परिणाम अपेक्षित था, क्योंकि केंद्रीय बलों की अनुपस्थिति में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए थे। मालूम हो कि भाजपा ने इस चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। मालूम हो कि पिछले रविवार को केएमसी के मतदान हुआ था, जिस दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाएं भी हुई थी। इस चुनाव में 63 प्रतिशत मतदान हुआ था। टीएमसी लगातार तीसरी बार केएमसी की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। विधानसभा चुनाव के बाद केएमसी के चुनाव में मिली भारी सफलता ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को काफी उत्साहित कर दिया है। इस चुनाव परिणाम का देश की राजनीति पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा। ममता अभी से ही वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का संयुक्त चेहरा बनने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए ममता ने कांग्रेस को छोड़ बाकी विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात करना शुरू कर दिया है। लेकिन ममता कांग्रेस के साथ एक खास दूरी बनाकर चल रही है। टीएमसी चाहती है कि कांग्रेस भी ममता को संयुक्त विपक्ष का नेता मान ले, किंतु कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहती है। ममता अभी पूरी तरह प्रशांत किशोर द्वारा बनाई गई रणनीति के तहत काम कर रही हंै। प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया है कि विपक्ष का चेहरा बनने के लिए टीएमसी को पश्चिम बंगाल के बाहर भी उपस्थिति दर्ज करवानी चाहिए। इसी रणनीति के तहत टीएमसी ने त्रिपुरा, मेघालय, गोवा, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में अपनी पार्टी का नेटवर्क बनाने में जुट गई है। इस दौरान कांग्रेस तथा टीएमसी के संबंधों में काफी तल्खी आई है, क्योंकि कई कांग्रेसी नेता टीएमसी में शामिल हो गए हैं। शिवसेना जैसी पार्टी फिलहाल कांग्रेस के साथ खड़ी है। उत्तर एवं दक्षिण भारत में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए टीएमसी को अभी काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। कोलकाता नगर के चुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त से कई प्रश्न उभर कर सामने आ गए हैं। लोकसभा एवं विधानसभा में शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा की केएमसी चुनाव में ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई, इस पर भाजपा को आत्ममंथन करने की जरूरत है।