नदियों की गहराई नापकर उनकी तलहटी में मौजूद सिल्ट की सफाई काम करना अब और आसान होगा। लखनऊ का कुर्सी रोड स्थित रिमोट सेंसिंग ऐंड अप्लीकेशन सेंटर इसके लिए बैथीमेट्रिक तकनीक के जरिए नदियों, जलाशयों और बांधों की गहराई नाप रहा है। संस्थान के साइंटिस्ट एसजी व प्रॉजेक्ट कोऑर्डिनेटर डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि बैथीमेट्रिक तकनीक से हाल ही में अपर गंगा कैनाल बुलंदशहर, माता टीला और शहजाद बांध ललितपुर के अलावा अयोध्या में राम की पैड़ी पर नदियों की मैपिंग की गई है। इसके अलावा गऊघाट पर गोमती नदी और इंदिरा कैनाल में मौजूद सिल्ट का भी पता लगाया जा चुका है। डॉ. एके अग्रवाल के मुताबिक, बैथीमेट्रिक तकनीक में साउंड नेविगेशन ऐंड रेंजिंग (सोनार) पर काम करती है। फिलहाल संस्थान गोण्डा में चरसड़ी बांध पर घाघरा नदी की गहराई नापने के प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है।
नदियों की सफाई में मदद करेगा रिमोट सेंसिंग सेंटर
