पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को मिली शानदार जीत से उत्साहित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभी से ही मिशन-2024 की तैयारी में जुट गई है। सर्वप्रथम उन्होंने दिल्ली पहुंच कर विपक्षी नेताओं के साथ बैठक की तथा विपक्षी एकता के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। ममता 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनना चाहती हैं। इसके लिए टीएमसी को पश्चिम बंगाल के बाहर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। अभी तक टीएमसी पश्चिम बंगाल तक ही सीमित है। अपने मिशन के प्रथम चरण में ममता पश्चिम बंगाल से बाहर टीएमसी का विस्तार करने में जुट गई हैं। हाल ही में मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस के कुल 12 विधायकों ने टीएमसी का दामन थाम लिया है। अब मेघालय में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नहीं, बल्कि टीएमसी होगी। इसी तरह त्रिपुरा में भी टीएमसी भाजपा के खिलाफ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की दिशा में कार्यरत है। मालूम हो कि वर्ष 2023 में त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। गोवा में भी टीएमसी ने अपने संगठन को मजबूत किया है। वहां के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विंसेंट पाला टीएमसी में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता देव पहले ही कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गई है। इससे पहले यशवंत सिन्हा, पवन वर्मा, कीर्ति आजाद, अशोक तंवर, राजेश त्रिपाठी एवं ललितेश त्रिपाठी जैसे नेता टीएमसी का दामन थाम चुके हैं। हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर जो कभी सोनिया गांधी के खास रहे हैं, अब ममता के लिए काम करेंगे। कांग्रेस के धाकड़ नेता रह चुके स्व. कमलापति त्रिपाठी के पुत्र ललितेश त्रिपाठी एवं पौत्र राजेश त्रिपाठी उत्तर प्रदेश में टीएमसी को स्थापित करेंगे। टीएमसी की इस पूरी रणनीति के पीछे प्रशांत किशोर का दिमाग बताया जाता है। ममता बनर्जी विपक्ष का चेहरा बनने के लिए कांग्रेस को दरकिनार कर दूसरी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय विपक्षी पार्टियों को इकट्ठा करने के लिए मुहिम चला रही हैं। ममता को मालूम है कि कांग्रेस के साथ रहने पर उनका यह सपना पूरा नहीं होगा, क्योंकि कांग्रेस राहुल गांधी को छोड़कर किसी भी प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती। इसी रणनीति के तहत अपने दिल्ली प्रवास के दौरान ममता ने सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी से भेंट नहीं की थी। क्षेत्रीय पार्टियों को अपने पाले में खिंचने के लिए ममता ने मुंबई जाकर शिवसेना के आदित्य ठाकरे एवं संजय राउत तथा एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से भेंट की है। उनका अभियान लगातार जारी है। उनका दूसरा अभियान उत्तर प्रदेश तथा पंजाब सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद शुरू होगा। इस चुनाव में जो नतीजे आएंगे उस आधार पर अपनी अगली रणनीति बनाएंगी।