भारत और फिजी का संबंध बहुत पुराना है। 33 वर्षों के बाद वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिजी को दौरा किया था। उस समय दोनों देशों ने फॉरेन फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड को-ऑपरेशन (एफआईपीआईसी) का गठन किया गया था। इस पहल से न केवल भारत-फिजी संबंधों को बल्कि पूरे प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों को भी मजबूत किया गया था। फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगामामादा राबुका के भारत दौरे से संबंधों में और प्रगाढ़ता आई है। इससे दोनों देशों के साझेदारी में एक नया अध्याय जोड़ने का मौका मिला है। प्रधानमंत्री मोदी और फिजी के प्रधानमंत्री राबुका के बीच 25 अगस्त को नई दिल्ली में हुए द्विपक्षीय बैठक के बाद सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन को फिजी के लिए एक खतरा बताते हुए कहा कि भारत आपदा प्रतिक्रिया से निबटने में फिजी की मदद करेगा। मोदी ने कहा कि भारत और फिजी भले ही महासागरों से बंटे हुए हैं, लेकिन हमारे साझा हित एक समान है। द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों देशों ने अपने रक्षा संबंधों को और विस्तार देने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की है। भारत और फिजी एक स्वतंत्र, समावेशी, खुले, सुरक्षित और समृद्ध भारत-प्रशांत का समर्थन करते हैं। दक्षिण-प्रशांत क्षेत्र के प्रधानमंत्री के रूप में राबुका की यह पहली भारत यात्रा है। समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में फिजी भारत के लिए महत्वपूर्ण राष्ट्र है। प्रशांत क्षेत्र में चीन लगातार अपनी रणनीतिक पकड़ बढ़ा रहा है। ऐसी स्थिति में भारत और फिजी के रक्षा संबंधों को मजबूत किया जाना दोनों देशों के हित में है। मोदी और राबुका इसी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने सहयोग को व्यापक बनाने के लिए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में संबंध को और प्रगाढ़ करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत फिजी की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण और उपकरण सहायता प्रदान करेगा। दोनों नेताओं के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान मोदी ने वैश्विक दक्षिण के लिए भारत की प्राथमिकताओं का भी उल्लेख किया। भारत वैश्विक दक्षिण के विकास में सहयात्री है। भारत ऐसी विश्व व्यवस्था के निर्माण में हरसंभव सहयोग देगा जहां वैश्विक दक्षिण की स्वतंत्रता, पहचान और विचारों का सम्मान किया जाता है। चीन की दादागिरी से ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र के देश परेशान हैं। भारत फिजी के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाकर चीन की दादागिरी कम करने में प्रशांत क्षेत्र के देशों की मदद कर सकता है। फिजी से सामरिक सहयोग बढ़ने से भारत अपनी सैन्य उपस्थिति फिजी में बढ़ा सकता है। भारत वहां की अर्थ-व्यवस्था को मजबूती देते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति को रफ्तार देने में मदद करेगा। पिछले कुछ वर्षों से भारत वैश्विक दक्षिण के देशों में अपनी जड़ मजबूत करने तथा व्यापार का विस्तार करने में लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार वैश्विक दक्षिण के देशों का दौरा कर रहे हैं। इन देशों में दुर्लभ खनिज पदार्थों का भंडार है जिसे निकालने की जरूरत है। भारत दुर्लभ खनिज पदार्थों को निकालने में आॢथक एवं तकनीकी सहायता प्रदान कर सकता है। पश्चिमी देशों के साथ बिगड़ते संबंधों को देखते हुए भारत के लिए वैश्विक दक्षिण विशेषकर फिजी का विशेष महत्व है।
भारत-फिजी संबंध
