ब्रक्स संगठन से अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप काफी नाराज बताये जाते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ब्रिक्स के मजबूत होने से अमरीका एवं पश्चिमी देशों का दबदबा खत्म हो जाएगा। यही कारण है कि ट्रंप सबसे ज्यादा ब्रिक्स के सदस्य देशों को निशाने पर ले रहे हैं। आजकल ट्रंप का टैरिफ बम दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अभी तक दुनिया के 34 देशों ने अमरीका की शर्तों पर समझौता कर लियाहै, लेकिन भारत अभी भी बीच मैदान में डटा हुआ है। अमरीका ने भारत पर अभी तक 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। 25 प्रतिशत टैरिफ 8 अगस्त से लागू होगी, जबकि अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगी। इसी बीच अमरीका का व्यापार प्रतिनिधिमंडल आगे की वार्ता के लिए 25 अगस्त को वाङ्क्षशगटन से नई दिल्ली पहुंचेगा। भारत अमरीका के दबाव में आकर अपना कृृषि, पशुपालन, डेयरी जैसे क्षेत्र को अमरीकी व्यापारियों के लिए खोलना नहीं चाहता है। भारत का तर्क है कि इस क्षेत्र को खोलने से भारतीय किसानों, मछुआरों एवं पशुपालकों को भारी नुकसान होगा। 50 प्रतिशत टैरिफ लगने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक मंच से कहा है कि सरकार राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। इसका मतलब साफ है कि भारत अपने कृृषि एवं डेयरी क्षेत्र को हर हालत में अमरीका के लिए नहीं खोलेगा। ट्रंप ने भारत की तरह ही ब्राजील पर 50 प्रतिशत, चीन पर 30 प्रतिशत तथा दक्षिण अफ्रीका पर 31 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। चीन हालांकि भारत से ज्यादा रूस से तेल खरीदता है, ङ्क्षकतु उस पर कम टैरिफ लगाना अमरीका की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। अमरीका भारत पर ज्यादा दबाव बढ़ाने के लिए टैरिफ बम का इस्तेमाल कर रहा है, ताकि वह रूस से दूरी बना ले। ब्रिक्स की पिछली मीङ्क्षटग में अपनी मुद्रा बनाने एवं विश्व बैंक की तरह अपना बैंक बनाने पर चर्चा हुई थी, जो ट्रंप को बिल्कुल पसंद नहीं है। अमरीका का मानना है कि ब्रिक्स की करेंसी आने से डॉलर को नुकसान पहुंचेगा। चीन के साथ पहले ही ट्रेड वार के बाद अस्थायी समझौता हो चुका है, जिसके तहत चीन पर 30 प्रतिशत तथा अमरीका पर 10 प्रतिशत कर लगेगा। ब्राजील के राष्ट्रपति ने तो अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप से टैरिफ के मुद्दे पर बातचीत से ही इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा चीन के राष्ट्रपति शी जिनङ्क्षपग से बातचीत करेंगे। पिछले 25 वर्षों से भारत-अमरीका संबंधों में प्रगाढ़ता लाने का जो प्रयास चल रहा था, ट्रंप की टैरिफ नीति ने बर्बाद कर दिया है। रूस पर पहले से ही अमरीका एवं पश्चिमी देशों ने भारी-भरकम कर लगा रखा है। अमरीका ने रूस पर भी 100 प्रतिशत कर लगाने की धमकी दी है। असल में मुख्य लड़ाई मेक अमरीका ग्रेट एगेन तथा मेक इन इंडिया को लेकर है। अगर अमरीका अपना हित देखता है तो भारत को भी अपना हित देखना पड़ेगा। एक तरफ अमरीका रूस के साथ लगभग चार अरब डॉलर का व्यापार करता है, जबकि भारत को रूस से व्यापार नहीं करने का उपदेश देता है। अमरीका भारत से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पेलेडियम, उर्वरक एवं केमिकल का आयात करता है, जबकि भारत को रूस से तेल न खरीदने की धमकी देता है। अब ब्रिक्स के देश भी अमरीका को चुनौती देने के लिए पूरी तैयारी में है।