कांग्रेस की साजिश का पर्दाफाश
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने मालेगांव बम कांड में शामिल 7 आरोपियों को ठोस सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। अदालत के इस फैसले से कांग्रेस द्वारा रची गई भगवा आतंकवाद की साजिश का पर्दाफाश हो गया है। 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव के भीकू चौंक पर बम कांड हुआ था। सर्वप्रथम महाराष्ट्र पुलिस ने इसकी जांच शुरू की बाद में उसे महाराष्ट्र एटीएस को सौंप दिया गया। मामला आगे बढ़ने के साथ ही एनआईए को जांच के सौंप दिया गया था। उस समय की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस पूरे मामले को भगवा आतंकवाद से जोड़ दिया था। हालांकि पहले से कांग्रेस का कहना था कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता ङ्क्षकतु मालेगांव मामले में कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर इसे ङ्क्षहदू आतंकवाद से जोड़ दिया गया। उस समय मनमोहन सरकार ने पी चिदंबरम केंद्रीय गृहमंत्री थे। जांच एजेंसियों पर ङ्क्षहदू आतंकवाद से जोड़ने के दबाव था। जांच एजेंसियों ने सेवानिवृति मेजर रमेश उपाध्याय, साध्वी प्रज्ञा ङ्क्षसह ठाकुर, समीर कुलकर्णी, कर्नल श्रीकांत पुरोहित, अजय राहिकर, सुधाकर द्विवेदी एवं सुधाकर चतुर्वेदी को आरोपी बनाया गया था। 2008 से ही इस मामले पर सुनवाई चल रही थी। बाद में सुरक्षा बलों ने सिमी के नेता को गिरफ्तार किया जिसने कबूल किया कि मालेगांव बम धमाके में उसका हाथ है। लेकिन तत्कालीन सरकार के दबाव में जांच एजेंसियों ने ङ्क्षहदू नेताओं को गिरफ्तार कर उसे ङ्क्षहदू संगठनों से जोड़ने का पूरा प्रयास किया। कांग्रेस ने बहुसंख्यक समाज के धर्म को बदनाम करने का भरसक प्रयास किया। कांग्रेस नेता दिग्विजय ङ्क्षसह ने भगवा आतंकवाद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा से जोड़ने का प्रयास किया। दूसरे कांग्रेसी नेता सुरेश कलमाड़ी ने कहा कि मालेगांव की घटना ङ्क्षहदू कट्टरपंथियों ने की है। पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार सिंदे ने आरोप लगाया था कि भाजपा और आरएसएस आतंकियों को ट्रेङ्क्षनग देती हैं। कुल मिलाकर उस वक्त ऐसा माहौल बनाया गया कि ङ्क्षहदू कट्टरपंथियों ने मालेगांव घटना को अंजाम दिया है। इसी तरह का नैरेटिव समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट के वक्त किया गया था। वोटबैंक के लिए कांग्रेस ने सांप्रदायिक तुष्टीकरण के तहत इस तरह का माहौल बनाने का भरसक प्रयास किया। कांग्रेस अपने मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए माहौल तैयार किया था। कांग्रेस को मालूम था कि ङ्क्षहदू संगठन भाजपा के समर्थक है। उस वक्त जांच में शामिल एक अधिकारी ने यह खुलासा भी किया है कि कांग्रेस ने वोट बैंक के खातिर ङ्क्षहदू संगठनों को फंसाने के लिए जांच एजेंसियों पर दबाव डाला था। यह सही है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन किसी संगठन को फंसाने के लिए उसे आतंकवाद से जोड़ना किसी भी रूप में उचित नहीं है। भारत पिछले कई दशकों से पाक प्रायोजित आतंकवाद से त्रस्त है। लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इसमें कमी आई है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 तथा 35-ए हटने के बाद निश्चित रूप से सुधार हुआ है ङ्क्षकतु पहलगाम की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद के खात्मे के लिए दो मोर्चे पर काम करना पर रहा है। पहला देश में सक्रिय आतंकी समूह के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। दूसरा पाकिस्तान की ओर से आने वाले आतंकियों को सीमा पर ही खत्म करने की पहल हो रही है। पहलगाम की घटना के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने ऑपरेशन ङ्क्षसदूर चलाकर आतंकियों की कमर तोड़ने का काम किया है। इससे पाकिस्तान सहित दुनिया में एक बड़ा संदेश गया है। भारत को आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता किए बिना सख्त कदम उठाना होगा। पूर्व कांग्रेसी सरकारों द्वारा आतंकवाद के मुद्दे पर ढुलमुल नीति के कारण आतंकियों के हौसले बढ़े हुए थे। मोदी सरकार ने उनकी कमर तोड़ने का काम किया है, जो सराहनीय है।