ऑपरेशन ङ्क्षसदूर पर आज लोकसभा में भारी हंगामा हुआ। जहां सरकार ऑपरेशन ङ्क्षसदूर की कामयाबी का बखान कर रही है, वहीं विपक्ष सरकार को घेरने के लिए कई प्रश्न उठाये हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह ने ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के बारे में सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के माध्यम से पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर बड़ा सबक सिखाया है। भारतीय सेना के हमले में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकियों के नौ ठिकाने तबाह हो गए। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को नतमस्तक होने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ के अनुरोध पर 10 मई को युद्ध विराम की घोषणा की गई। साथ ही रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार परमाणु ब्लैकमेल के सामने नहीं झुकते हुए कड़ी कार्रवाई की। उस वक्त सभी राजनीतिक दलों ने सरकार के साथ खड़ा होकर राजनीतिक एकता का जो परिचय दिया वह काबिले तारीफ है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म से सरकार ने पाकिस्तान को बेनकाब किया। विपक्षी सदस्यों ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर सरकार को घेरा, जिसमें उन्होंने 28वीं बार कहा है कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम करवाया है। विपक्ष ने सरकार से इस पर स्पष्ट राय रखने की मांग की है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी तथा उपनेता गौरव गोगोई ने भी सरकार को ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के मुद्दे पर घेरा। गौरव गोगोई ने कहा कि 100 दिन बीत जाने के बावजूद जम्मू-कश्मीर सरकार अभी तक उन पांच आतंकियों को पकड़ नहीं सकी है जो पहलगांव आतंकी घटना के लिए सीधे जिम्मेवार है। उन्होंने सेना के सीबीएस अनिल चौहान के विदेश में दिये गए उस बयान का जिक्र किया जिसमें भारत के नुकसान का संकेत दिया गया था। विपक्षी सदस्यों ने भारत की विदेश नीति पर भी सवाल उठाये। विपक्षी सदस्यों का आरोप है कि ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के दौरान कोई भी देश खुलकर भारत के समर्थन में नहीं आया, जबकि पाकिस्तान के पक्ष में चीन, तुर्की तथा अजरबैजान जैसे देश खुलकर समर्थन में आए। अमरीका तथा रूस ने भारत और पाकिस्तान दोनों को एक ही श्रेणी में रखा जो हमारी विदेश नीति की विफलता है। आतंकवाद को बढ़ावा देने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से पाकिस्तान को कर्ज मिलना यह दर्शाता है कि वहां भारत की नहीं सुनी गई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनी समिति का पाकिस्तान का सह-अध्यक्ष बनना भारत के लिए बड़ी विफलता है। आतंकवाद का पोषण करने वाला देश अगर ऐसी समिति का सह-अध्यक्ष बने उससे बड़ा हास्यास्पद फैसला और क्या हो सकता है। इसका मतलब साफ है कि अमरीका पाकिस्तान को पर्दे के पीछे से सहायता दे रहा है। जहां कांग्रेस ने सरकार की विफलता को उजागर किया, वहीं भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों ने पूर्व कांग्रेसी सरकारों की नाकामयाबियों को सामने रखा।