भारत और ब्रिटेन के बीच बृहस्पतिवार को ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर की उपस्थिति में लंदन में हस्ताक्षर किये गए। इस हस्ताक्षर से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में करीब 30 डॉलर का इजाफा होने की उम्मीद है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनाल्ड ने इस पर हस्ताक्षर किये। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को लगातार टैरिफ लगाने की धमकी को देखते हुए ब्रिटेन के साथ हुआ व्यापार समझौता भारतीय अर्थ-व्यवस्था के लिए मददगार साबित होगा। ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से अलग हो चुका है। अमरीका और यूरोपीय यूनियन द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी को देखते हुए ब्रिटेन भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है। मुक्त व्यापार समझौता होने से ब्रिटेन की अर्थ-व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। भारतीय अधिकारियों के अनुसार एफटीए लागू होने से 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को शुल्क से राहत मिलने की उम्मीद है। ब्रिटिश कंपनियों के लिए व्हिस्की, कारों एवं अन्य उत्पादों का भारत में निर्यात भी आसान होगा। दोनों देशों के बीच पिछले तीन वर्षों से बातचीत चल रही थी। अब जाकर इस व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया गया है। समझौते के बाद भारतीय उपभोक्ताओं को सॉफ्ट ड्रिंक, सौंदर्य प्रसाधन, कार एवं चिकित्सकीय उपकरणों जैसी बेहतरीन ब्रिटिश उत्पादों तक आसान पहुंच मिलेगी। इसकी वजह यह है कि एफटीए लागू होने के बाद औसत सीमा शुल्क 15 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत रह जाएगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि भारत के साथ हमारा ऐतिहासिक व्यापार समझौता ब्रिटेन के लिए एक बड़ी जीत है। कुल मिलाकर एफटीए से दोनों देशों को फायदा होगा तथा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा। भारत के जेनरिक दवाओं एवं चिकित्सकीय उपकरणों जैसे एक्सरे सिस्टम और सॢजकल उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि ऐसे उपकरणों के बड़े हिस्से पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। इससे भारत चिकित्सकीय प्रौद्योगिकीय कंपनियों की लागत कम होगी तथा उनके उत्पाद ब्रिटेन में प्रतिस्पर्द्धी बनेंगे। समझौते से ब्रिटेन का चीन पर निर्भरता में कमी आएगी। मालूम हो कि भारत यूरोप में सबसे बड़ा दवा निर्यातक देश है। भारत वैश्विक स्तर पर दवा क्षेत्र के तहत 23.31 अरब अमरीकी डॉलर का निर्यात करता है। ब्रिटेन करीब 30 अरब अमरीकी डॉलर दवाओं का आयात करता है, जिसमें भारतीय दवा क्षेत्र का योगदान 1 अरब डॉलर से कम है। एफटीए होने से भारत के दवा उद्योग को ब्रिटेन में मजबूत पैठ बनाने में मदद मिलेगी। भारत जेनरिक दवाओं के सबसे बड़ा आपूॢतकर्ता है। इसकी वैश्विक आपूॢत में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारतीय उत्पाद दुनिया के 200 से अधिक देशों में भेजे जाते हंै, जिसमें जापान, पश्चिमी यूरोप और अमरीका प्रमुख है। एफटीए होने से दोनों देशों में रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर पैदा होंगे। ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। भारत इससे पहले 15 देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता कर चुका है, जिसमें श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, ङ्क्षसगापुर, मलेशिया, द. कोरिया, जापान, आस्ट्रेलिया, यूएई, मारिशस, आसियान और चार यूरोपीय देश आइसलैंड, लीश्टेंस्टीन, नार्वे और स्वीटजर के समूह भी शामिल हैं। भारत अभी अमरीका, ओमान, यूरोपीय संघ, पेरू और इजराइल के साथ एफटीए पर बातचीत कर रहा है।
मुक्त व्यापार समझौता
