असम पिछले कई दशकों से बांग्लादेश की तरफ से होने वाली घुसपैठ से पीड़ित है। बड़ी संख्या में घुसपैठियों के आने से असम में जनसंख्या का अनुपात तेजी से बदल रहा है। अखिल असम छात्र संघ ने इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन भी चलाया था, लेकिन उसका कोई बड़ा सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। डॉ. हिमंत विश्वशर्मा सरकार के सत्ता में आने के बाद इस दिशा में कुछ पहल हुई है। असम सरकार अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने दावा किया है कि असम को खत्म करने के लिए सोची-समझी साजिश के तहत लैंड जिहाद चलाया जा रहा है। इसके तहत वन, सत्र, मंदिर, सरकारी तथा अन्य भूमि पर दखल करने के साथ ही वहां की मतदाता सूची सहित अन्य सरकारी लाभ के लिए योजना के अनुरूप काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के मूल समुदाय के लोग एक धर्म के लोगों से खतरे का सामना कर रहे हैं। वे जनसांख्यिकी को बदलने के लिए विभिन्न हिस्सों में भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं। बेदखली अभियान के तहत 2021 से अब तक राज्य के 1.19 लाख बीघा जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जा चुका है। इसमें ज्यादातर लोग बांग्लादेशी मुसलमान थे। खाली कराये गये भूमि में से 84743 बीघा जमीन वन भूमि, 26713 बीघा सामान्य सरकारी भूमि शामिल है। निचले एवं मध्य असम में अपना दबदबा साबित करने के बाद अब ऊपरी असम में लैंड जिहाद चल रहा है। हाल ही में असम सरकार के निर्देश पर ग्वालपाड़ा के पाईकन रिजर्व फारेस्ट में बसे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत 1032 बीघा जमीन को मुक्त कराया गया है। यहां 1080 परिवार रहते थे। 70 प्रतिशत लोगों ने नोटिस मिलने के बाद अपने आप जमीन खाली कर दिया था, ङ्क्षकतु बाकी के 30 प्रतिशत लोगों को हटाना पड़ा। पवितरा एवं गुवाहाटी क्षेत्र के सोनापुर में भी बेदखली अभियान चलाया गया था। हिमंत सरकार ने काजीरंगा, सोनाई रूपाई क्षेत्र में भी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान चलाया था। असम के महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान बटद्रवा में भी अतिक्रमणकारियों ने जबरन कब्जा कर रखा था। हिमंत सरकार ने एक अभियान चलाकर उस क्षेत्र को भी घुसपैठियों से मुक्त करवाया है। नामघरों एवं सार्वजनिक स्थलों की जमीन पर बांग्लादेशियों का कब्जा वास्तव में चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक बड़े साजिश के तहत लैंड जिहाद का काम चल रहा है। राज्य के दूसरे हिस्से में बसे लोग नए हिस्से में आकर बसते हैं तथा वहां की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराते हैं। जैसे ही उनकी संख्या बढ़ जाती है वे राजनीतिक दलों के वोट बैंक बन जाते है। राजनेता अपनी राजनीतिक स्वार्थ के लिए उन पर कार्रवाई नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों से अपील की है कि वे घुसपैठियों को जमीन बिक्री नहीं करें। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इन घुसपैठियों को बिजली का कनेक्शन मतदाता सूची में नाम सहित सभी सरकारी दस्तावेज मिल जाते हैं। ऐसे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। यह काम बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। इस बारे में जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा।