अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप धमकी दे रहे हैं कि अगर पुतिन ने सितंबर की शुरुआत तक यूक्रेन के खिलाफ अपना युद्ध बंद नहीं किया तो रूस के व्यापारिक साझेदार देशों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगा दिया जाएगा। कुछ ऐसी ही धमकी नाटो ने भी दोहराई है। नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने चेतावनी दी कि अगर ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ अपना व्यापार करना जारी रखते हैं तो उन पर भी आर्थिक प्रतिबंध सेकेंडरी सैंक्शंस के रूप में लगाए जा सकते हैं। सवाल है कि भारत और चीन से लेकर तुर्की जैसे देश रूस के साथ कितना व्यापार करते हैं। खास बात यह है कि नाटो में अधिकतर बड़े यूरोपीय देश शामिल हैं और यूरोपीय यूनियन खुद रूस से बड़े पैमाने पर व्यापार करता है। चलिए आंकड़ों की जुबानी आपको इकोनॉमिक थिंक टैंक ब्रुगेल के अनुसार भारत रूस का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। इस साल मई तक दोनों देश के बीच कुल 68 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत रूस से मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (तेल-गैस) खरीदता है। रूस से होने वाले कुल निर्यात में जीवाश्म ईंधन का हिस्सा 90 प्रतिशत है। भारत दुनिया में रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, वहीं रूस को भारत मूलत: परमाणु रिएक्टर, मशीनरी और फार्मास्युटिकल कंपाउंड बेचता है। दूसरी ओर चीन अब तक रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों के बीच वार्षिक आयात और निर्यात लगभग 240 बिलियन डॉलर का है। ब्रुएगेल के अनुसार रूस के व्यापार प्रवाह में चीन की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत है। मई 2025 तक, रूस ने प्राकृतिक गैस और तेल, चिकित्सा उपकरण और रासायनिक उत्पादों सहित 125 बिलियन डॉलर का सामान चीन को निर्यात किया, वहीं चीन से रूस को होने वाला आयात 113 अरब डॉलर का था, जिसमें मुख्य रूप से इस्पात, उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा शामिल था। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मंगलवार को ट्रंप की धमकी का जवाब देते हुए कहा कि यूक्रेन पर उनके देश की स्थिति हमेशा स्पष्ट और सुसंगत रही है-हमने हमेशा माना है कि बातचीत ही यूक्रेन संकट का एकमात्र व्यवहार्य समाधान है। उन्होंने कहा कि चीन सभी अवैध एकतरफा प्रतिबंधों और दीर्घकालिक अधिकार क्षेत्र का दृढ़ता से विरोध करता है। उन्होंने कहा कि रिफ युद्ध में कोई विजेता नहीं होता है। बेलारूस, रूस का करीबी सहयोगी है। यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस की मदद करने के लिए अमरीका और यूरोपियन यूनियन ने खुद बेलारूस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। बेलारूस अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूसी तेल और गैस पर बहुत अधिक निर्भर करता है। रूसी सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार जनवरी और अक्तूबर 2024 के बीच दोनों के बीच 60 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, लेकिन संयुक्त राष्ट्र कमोडिटी ट्रेड स्टैटिस्टिक्स डेटाबेस के अनुसार खतरे वाले अमरीकी टैरिफ को लेकर बेलारूस का जोखिम सीमित हो सकता है, क्योंकि बेलारूस अमरीका को केवल 21 मिलियन डॉलर मूल्य के उत्पादों का निर्यात करता है। जब वह अमरीका को इतना कम निर्यात करता है तो ट्रंप केवल इतने ही मूल्य के उत्पादों पर ही टैरिफ लगा पाएंगे। भले ही यूरोपियन यूनियन ने रूस पर कई दौर के प्रतिबंध लगाए हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यूरोपीय यूनियन डंडे के जोर पर रूस से सहयोगी देशों को दबाना चाहता है। यूनियन चाहता है कि रूस को आॢथक रूप से कमजोर करने के लिए भारत उनकी बातें माने, लेकिन ऐसा संभव नहीं है।
भारत को धमकी
