एक तरफ चीन भारत के साथ संबंध सुधारने का दावा करता है तो दूसरी तरफ वह चालबाजी करने से बाज नहीं आता है। ऑपरेशन ङ्क्षसदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में चीन की चालबाजी सामने आ गई। भारत के उप-सेना प्रमुख ने इस बात का विस्तार से खुलासा किया है। ऐसी खबर है कि पाकिस्तान ने चीन के इशारे पर ही पहलगाम आतंकी घटना को अंजाम दिया ताकि भारत बाध्य होकर हमला करने पर मजबूर हो सके। संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को हथियारों एवं सैन्य सामानों की आपूॢत की। साथ ही ड्रैगन ने सेटेलाइट से प्राप्त खुफिया जानकारी लगातार पाकिस्तान को उपलब्ध करवाई। इससे पाकिस्तान को काफी मदद मिली। चीन ने पाकिस्तान के माध्यम से अपने हथियारों का परीक्षण भी कर लिया। जब भारत बड़े हमले की तैयारी में था तब चीन ने अपनी खुफिया जानकारी के आधार पर पाकिस्तान को सावधान किया था। उसी के बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम के लिए गुहार लगाना शुरू कर दिया। भारत को भी चीन की चालबाजी का जवाब देना ही होगा। तिब्बती लोगों के धर्मगुरु दलाई लामा के माध्यम से भारत ने चीन को माकूल जवाब दिया है। चीन चाहता है कि अगले दलाई लामा की घोषणा उसके द्वारा हो, जबकि भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उत्तराधिकारी चुनने का एकमात्र अधिकार दलाई लामा के पास है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने इस मामले में भारत की नीति को स्पष्ट कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दलाई के 90वें जन्मदिन पर सार्वजनिक रूप से बधाई देकर चीन को बड़ा कूटनीतिक संदेश दे दिया है। अब भारत को भी तिब्बत कार्ड खेलने की आवश्यकता है जिस पर चीन ने जबरन कब्जा कर रखा है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग की है। खांडू ने कहा है कि वे आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे। इससे पहले मदर टेरेसा, खान अब्दुल गफ्फार खान एवं नेल्शन मंडेला जैसे विदेशी नागरिकों को भारत रत्न पुरस्कार दिया जा चुका है। भारत रत्न देने से चीन को एक कड़ा संदेश जाएगा, जो बार-बार अरुणाचल प्रदेश के भू-भागों को चीनी नाम देकर अपना दावा मजबूत करने की कोशिश करता रहा है। चीन ने अब तक पांच बार अरुणाचल प्रदेश के भू-भागों का नाम बदला है। पेमा खांडू ने यहां तक कहा है कि अरुणाचल प्रदेश की 1200 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा चीन से नहीं बल्कि तिब्बत से लगती है। तिब्बती बौद्ध धर्म की अवधारणा हिमालय क्षेत्र में लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली है। 14वें दलाई लामा को 1959 में तिब्बत पर चीनी आक्रमण के बाद भारत भागने पर मजबूर होना पड़ा था। अरुणाचल प्रदेश भारत के लिए संवेदनशील राज्य है, जो तीन अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को साझा करता है। तिब्बत के अलावा अरुणाचल प्रदेश की सीमा 150 किलोमीटर भूटान के साथ तथा 550 किलोमीटर सीमा म्यामां से लगती है। चीन का अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद है। अपने विस्तारवादी नीति के तहत चीन पड़ोसी देशों के भू-भाग को हड़पने की कोशिश करता रहा है। भारत के साथ भी चीन का टकराव लगातार जारी है। एशिया में भारत की बढ़ती ताकत को देखते हुए चीन भारत को कमजोर और अस्थिर करने के लिए लगातार प्रयास करता रहा है। इस काम में पाकिस्तान उसका सबसे बड़ा मोहरा है। हाल के वर्षों में भारत ने चीनी आक्रामकता के खिलाफ अपनी सामरिक शक्ति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये हैं। सेना के तीनों अंगों को आधुनिक सैन्य सामानों से सुसज्जित किया गया है तथा स्वदेशी हथियारों पर फोकस किया गया है। चीन की चालबाजी का जवाब देने के लिए भारत पूरी तरह कमर कस चुका है।
चीन की चालबाजी
