ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी का दबदबा

ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जलवा देखने को मिला। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा चीन के राष्ट्रपति शी जिनङ्क्षपग की अनुपस्थिति में मोदी ने ब्रिक्स का मोर्चा संभाला तथा पश्चिमी देशों को आईना दिखाया। ब्रिक्स में फिलहाल 11 देश सदस्य हैं जिसमें भारत, रूस, चीन, ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका इसके संस्थापक सदस्य हैं। ब्राजील ने कई देशों को ब्रिक्स सम्मेलन के लिए अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था जिसमें क्यूबा के राष्ट्रपति भी शामिल थे। 31 पेज के संयुक्त घोषणा पत्र में ब्रिक्स के सभी देशों ने स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन, स्वास्थ्य, तकनीक एवं खाद्य संकट जैसे गंभीर मुद्दों पर मिलकर काम करने पर जोर दिया है। मेजबान ब्राजील ने भारतीय प्रधानमंत्री को राजकीय भोज भी दिया है, जो भारत के कद को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स के मंच से कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ दोहरा मापदंड अपनाया जाता है। एक तरह से मोदी ने अमरीका तथा पश्चिमी देशों को कूटनीतिक संदेश दिया है। ब्रिक्स लगाातर मजबूत हो रहा है। दुनिया के कई देश इसमें शामिल होने के लिए कतार में खड़े हैं। वर्तमान में ब्रिक्स में दुनिया की 45 प्रतिशत आबादी शामिल है, जबकि जीडीपी के दृष्टिकोण से यह आंकड़ा 36 प्रतिशत है। ब्रिक्स को जी-7 के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दुनिया के देशों को टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं। ट्रंप के टैरिफ वार से दुनिया के देश परेशान हैं। अमरीकी राष्ट्रपति ने यह भी धमकी दी है कि अगर ब्रिक्स के देश अपना नया मुद्रा जारी करते हैं तो अमरीका ब्रिक्स के देशों पर अलग से 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। भारत ने बीच का रास्ता अपनाते हुए ब्रिक्स के देशों के बीच स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। भारत अभी रूस और संयुक्त अरब अमीरात के साथ स्थानीय मुद्रा में व्यापार कर रहा है। रूस पर अमरीका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के कारण भारत को यह रास्ता अपनाना पड़ा है। भारत चाहता है कि दुनिया एक या दो ध्रुवीय न होकर बहुध्रुवीय हो, जिसमें विकासशील देशों की आवाज सुनी जाए तथा उनकी साझेदारी बढ़े। अमरीका और पश्चिमी देशों के दबदबे वाले संगठन में विकासशील देशों की बातें नहीं सुनी जाती हैं। ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण जैसे मुद्दों पर विशेष अनुदान देने जैसे मामले से अपने को अलग कर लिया है। ब्रिक्स के प्लेटफॉर्म के तले एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमरीका के देश इक_े हो रहे हैं, जो पश्चिम के देशों के लिए खतरे का संकेत है। भारत ने अफ्रीकी देशों के संगठन को जी-20 का सदस्य बनाने में काफी मदद की है। मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन के पहले घाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो तथा अर्जेंटीना की यात्रा कर यह साफ साफ संकेत दिया कि भारत ग्लोबल साउथ के प्रति कितना गंभीर है। ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत ने ब्राजील के साथ द्विपक्षीय बैठक कर कई मुद्दों पर मिलकर काम करने का निर्णय लिया। ब्राजील ने भारत के स्वदेशी हथियारों में काफी दिलचस्पी दिखाई। अपने पड़ाव के अंतिम चरण में मोदी नामीबिया पहुंचे जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। मोदी ने पांच देशों की यात्रा के दौरान सोना तथा दुर्लभ खनिज पदार्थों से संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये। भारत को अपने उद्योगों को चलाने के लिए कुछ दुर्लभ खनिज पदार्थों की जरूरत है जिन पर अभी चीन का कब्जा है। भारत ने ब्रिक्स के मंच से आतंकवाद के मुद्दे पर अमरीका और चीन सहित पश्चिमी देशों को घेरा जो अपने हित के अनुसार आतंकवाद की परिभाषा गढ़ते है। मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद पर दोहरी नीति नहीं चल सकती। यही कारण है कि ब्रिक्स के घोषणा पत्र में आतंकवाद को प्रमुखता से शामिल किया गया है।