भारतीय संस्कृति में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह के व्रत त्योहार जयंती की विशेष महिमा है। विशिष्ट माह की विशिष्ट तिथियों पर देवी-देवताओं का प्राकट्य दिवस श्रद्धा भक्तिभाव व आस्था के साथ मनाए जाने की धाॢमक व पौराणिक परम्परा है। ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन राजा भगीरथ की विशेष तपस्या से गंगाजी का अवतरण स्वर्ग से पृथ्वी पर हुआ था। गंगाजी को समस्त नदियों में सर्वश्रेष्ठï माना गया है। गंगाजल में जीवनदायिनी शक्ति निहित है, जिससे गंगाजी माता के रूप में पूजित हैं। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को संवत्सर का मुख भी माना गया है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्वाह्न व्यापिनी दशमी तिथि के दिन, हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से श्रीगंगाजी का अवतरण पृथ्ïवी पर हुआ था। धाॢमक ग्रंथों के अनुसार पर्वविशेष के दिन 1-ज्येष्ठï मास, 2-शुक्ल पक्ष, 3-दशमी तिथि, 4-बुधवार, 5-हस्तनक्षत्र, 6-व्यतिपात योग, 7-गर करण, 8-आनन्द योग, 9-वृषराशि का सूर्य, 10-कन्या राशि का चन्द्रमा का संयोग रहता है। गंगा दशहरा 5 जून, गुरुवार को पड़ रही है। इस बार ज्येष्ठï शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 5 जून, गुरुवार को पूर्वाह्नï व्यापिनी है, जिसमें दस योगों में से छह योग  मिल रहा है। 1-ज्येष्ठï मास, 2-शुक्ल पक्ष, 3-दशमी तिथि, 4-हस्त नक्षत्र, 5-वृषभ राशि का सूर्य एवं 6-कन्या राशि का चंद्रमा का योग है। इस योग में 5 जून, गुरुवार को गंगा दशहरा संबंधित स्ïनान-दान, पूजा-अर्चना, व्रत आदि करने का विशेष महत्व है। गंगा दशहरा के पावन पर्व पर गंगा स्नान करने से 10 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। जिसमें 3 प्रकार कायिक (शारीरिक), 4 प्रकार के वाचिक, 3 प्रकार के मानसिक दोषों का शमन होता है। 

गंगाजी की पूजा का विधान ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर गंगा-स्नानादि करना चाहिए। गंगा-स्नान यदि संभव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करके स्वच्छ वस्ïत्र धारण करना चाहिए। अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् श्रीगंगाजी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस पर्व पर माता गंगाजी की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। पूजा के अंतर्गत 10 प्रकार के फूल अॢपत करके 10 प्रकार के नैवेद्य, 10 प्रकार के ऋतुफल, 10 ताम्बूल, दशांग, धूप के साथ 10 दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। गंगा अवतरण से संबंधित कथा का श्रवण, श्रीगंगा स्तुति एवं श्रीगंगा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
माँ गंगा का पवित्र पावन मंत्र नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।
श्रीगंगा दशहरा का मंत्र ॐ नम: शिवाय नारायण्ये दशहराये गंगाय नम:।