सनातन धर्म में रसोईघर को माता अन्नपूर्णा का स्थान माना गया है। जैसे मंदिर में दीपक जलाना पुण्यकारी होता है, वैसे ही रसोईघर का पवित्र, स्वच्छ और सकारात्मक होना घर में लक्ष्मी, स्वास्थ्य और सुख का वास सुनिश्चित करता है। वास्तुशास्त्र और ज्योतिष के अनुसार रसोईघर में उपयोग किए गए रंग, वहां की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। सही रंगों का चयन करने से घर में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन बना रहता है। लाल रंग : लाल रंग को मंगल ग्रह से जोड़ा जाता है, जो ऊर्जा, जोश और समृद्धि का प्रतीक है। रसोईघर की पूर्व दिशा या दक्षिण-पूर्व कोने में यदि हल्का लाल या मरून रंग हो, तो यह अग्नि तत्व को संतुलित करता है। यह रंग भोजन पकाने वाले व्यक्ति में उत्साह, प्रेम और परिश्रम की भावना जाग्रत करता है। माता लक्ष्मी की कृपा पाने हेतु रसोई में हल्के लाल रंग का पर्दा या वस्त्र भी रखा जा सकता है। हरा रंग : हरा रंग बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्वास्थ्य, बुद्धि और ताजगी का द्योतक है। रसोई में हरे रंग की उपस्थिति (जैसे हरे पर्दे, पौधे या बर्तन) घर में रोगों को दूर करने में सहायक होती है। हरा रंग मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। तुलसी या धनिए के पौधे रसोई में रखने से आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है। पीला रंग : पीला रंग बृहस्पति ग्रह का रंग है, जो शुभता, ज्ञान और गुरु-तत्व को दर्शाता है। रसोईघर में हल्के पीले रंग का प्रयोग वातावरण को सात्विक बनाता है। यह रंग भोजन में सकारात्मक ऊर्जा भरता है और पारिवारिक सदस्यों में समरसता बढ़ाता है। बृहस्पतिवार के दिन रसोई में हल्दी का दीपक जलाना विशेष शुभ होता है। नीला रंग : नीला रंग शनि ग्रह से जुड़ा होता है, जो संयम, स्थिरता और शांति प्रदान करता है। रसोई में हल्के नीले रंग का प्रयोग करने से मानसिक संतुलन बना रहता है। यह रंग कलह को दूर करता है और गृहक्लेश में कमी लाता है। नीले रंग की बोतल में पानी भरकर रसोई में रखने से दोषों की शांति होती है।