चीन ने की फिर साजिश, बदले अरुणाचल के कई स्थानों के नाम
15 May, 2025
नई दिल्ली : चीन ने एक बार फिर से भारत के खिलाफ साजिश की कोशिश की है। उसने पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदले हैं। भारत ने इस मामले पर चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारत ने चीन की कोशिशों को सिरे से खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि इस तरह के बेतुके प्रयासों से यह सच्चाई नहीं बदलेगी। यह राज्य 'भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का दक्षिणी भाग है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने देखा है कि चीन ने भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के व्यर्थ और बेतुके प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के प्रयासों को अपने सैद्धांतिक रुख के अनुरूप स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं। जायसवाल ने इस मुद्दे पर मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि नए नाम रखने से यह निर्विवाद वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा। पिछले वर्ष अप्रैल में भी जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों के 'मानकीकृत नामों की सूची जारी की थी, तब भी भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने 'जंगनान में छह स्थानों के 'मानकीकृत नामों की पहली सूची 2017 में जारी की थी, जबकि 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी। इसके बाद 2023 में 11 स्थानों के नामों के साथ एक और सूची जारी की गई थी। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नामों की नई सूची जारी करने का निर्णय ऐसे समय में लिया है जब दोनों देश पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध से प्रभावित संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयास कर रहे हैं। भारत और चीन ने लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद पिछले महीने कैलाश मानसरोवर यात्रा को बहाल करने का फैसला किया, जिसे संबंध सुधारने के प्रयास के रूप में देखा गया। कोविड-19 महामारी और उसके बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध के कारण 2020 में मानसरोवर यात्रा स्थगित कर दी गई थी। भारत और चीन ने पिछले साल 21 अक्तूबर को हुए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग में टकराव वाले दो स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। इसके बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रूसी शहर कजान में वार्ता की तथा विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की। मोदी और शी की वार्ता के बाद पिछले कुछ महीनों में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के उद्देश्य से कई बैठकें कीं। (एजेंसी)
न्यायमूर्ति बीआर गवई ने भारत के...
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली है, जो 65 वर्ष की आयु होने पर मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए। न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे। शपथ लेने के तुरंत बाद न्यायमूर्ति गवई ने अपनी मां कमल ताई गवई के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों और पूर्व न्यायाधीशों ने उन्हें बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने बाद में अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरें जारी कीं। उन्होंने 'एक्सÓ पर लिखा, 'उनके कार्यकाल के लिए बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ ही केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, जे पी नड्डा और अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर, 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति गवई को 14 नवंबर, 2003 को बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह 12 नवंबर, 2005 को उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति गवई उच्चतम न्यायालय में कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। वह पांच-सदस्यीय उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने दिसंबर 2023 में पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था। न्यायमूर्ति गवई की मौजूदगी वाली पांच-सदस्यीय एक अन्य संविधान पीठ ने 'राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था। वह पांच-सदस्यीय उस संविधान पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने 4:1 के बहुमत के फैसले से 1,000 और 500 रुपए के नोट अमान्य करने के केंद्र के 2016 के फैसले को मंजूरी दी थी। न्यायमूर्ति गवई सात-सदस्यीय उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 6:1 के बहुमत के फैसले में माना था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके, जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से उनमें अधिक पिछड़ी हैं। न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पूरे देश के लिए दिशानिर्देश तय किए और कहा कि पूर्व में 'कारण बताओ नोटिसÓ दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए और प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए। वह वन, वन्यजीव और वृक्षों की सुरक्षा से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ के भी प्रमुख हैं। वह 16 मार्च, 1985 को बार में शामिल हुए थे और नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील थे। (भाषा)
पीएम मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा...
और भारत की तैयारियों पर चर्चा की गई। इसके बाद प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक की भी अध्यक्षता की। मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री की प्रशंसा किए जाने के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत के गौरव, सशस्त्र बलों की भूमिका और निर्णायक नेतृत्व के अलावा नए सिद्धांत का एक उदाहरण था। यह देश के लिए बहुत सराहनीय है। संवाददाताओं से बातचीत में, वैष्णव ने उत्तर प्रदेश के जेवर में 3,706 करोड़ रुपए के सेमीकंडक्टर संयंत्र को मंत्रिमंडल की मंजूरी की घोषणा की और कहा कि आपने ऑपरेशन सिंदूर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग को देखा और कैसे भारत प्रौद्योगिकी के उपयोग से मजबूत होकर उभरा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 'ऑपरेशन सिंदूरÓ के बाद पहली बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए सोमवार को पड़ोसी देश पाकिस्तान को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा था कि भारत 'परमाणु ब्लैकमेलÓ को बर्दाश्त नहीं करेगा। साथ ही उन्होंने विश्व को यह स्पष्ट संदेश भी दिया था कि 'आतंकवाद एवं व्यापारÓ तथा 'आतंकवाद एवं बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। प्रधानमंत्री मोदी ने 22 मिनट के अपने संबोधन में कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ नयी नीति है। उन्होंने कहा था कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपना अभियान स्थगित किया है तथा इस अभियान का भविष्य पड़ोसी देश के बर्ताव पर निर्भर करेगा। इस बीच, भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष समाप्त करने के लिए मध्यस्थता के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को भारत ने खारिज कर दिया है। भारत के खंडन के बावजूद ट्रंप ने फिर दावा किया है कि उनकी सरकार ने दोनों देशों के बीच 'ऐतिहासिक संघर्षविराम करवाया है। (भाषा)
मुख्यमंत्री हिमंत ने किया सोनापुर के...
दूरी का भी जायजा लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रस्तावित रिंग रोड के बारे में भी बताया जो साइट के पास से गुजरेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कचुतली क्षेत्र आदिवासी बेल्ट-ब्लॉक के अंतर्गत है। आदिवासी बेल्ट- ब्लॉक के लिए दो नियम हैं। आदिवासी बेल्ट-ब्लॉक बनने से पहले गैर आदिवासी लोग आदिवासी बाड़े की जमीन पर रह सकते हैं। हालांकि बेल्ट-ब्लॉक बनने के बाद आदिवासी बाड़े की जमीन पर कोई नया व्यक्ति आकर नहीं बस सकता है। इसलिए, बेल्ट-ब्लॉक के गठन से पहले कचुतली में आए लोगों को बेदखल या परेशान नहीं किया गया। हालांकि, बाद में आने वाले लोगों को कचुतली से भेजना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में दिक्कत ये है कि एक समय हम राजनीति करने वाले लोगों ने किसी के लिए सड़कें बनाईं, किसी को बिजली दी, किसी को पानी दिया और मामला धीरे-धीरे हमारे हाथ से निकल गया। कचुतली में कई लोग ऐसी सुविधाओं का लाभ उठाकर वहां अवैध रूप से बस गए थे। कचुतली में 1000 बीघा जमीन अतिक्रमण मुक्त करा दिया गया, लेकिन यहां कुछ जमीन दलाल हैं जो बेदखल किए गए लोगों को बार-बार कचुतली में बुला लाते हैं। इसलिए हम जमीन दलालों को गिरफ्तार करने के बारे में सोच रहे हैं। उनमें से कुछ को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन हमें उन्हें लंबे समय तक हिरासत में रखना होगा। बेदखल की गई जमीन पर पुलिस कार्यालय बनाया जाएगा ताकि यह जमीन सुरक्षित रहे। इसके अलावा कचुतली की बची हुई जमीन को संरक्षित करने की व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने यहां मेडिकल कॉलेज या यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लिया है, जिससे लोगों को फायदा होगा। अगर कोई भूमिहीन आदिवासी लोग हैं, तो हम उन्हें जमीन दे सकते हैं। हालांकि हमें जमीन को अच्छी तरह से संरक्षित करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कचुतली की बेदखल जमीन पर छह महीने के भीतर 10वें असम पुलिस मुख्यालय का काम शुरू कर दिया जाएगा और इसे पूरा होने में कम से कम तीन साल लगेंगे। गौरतलब है कि लंबे समय से क्षेत्र पर अवैध कब्जे के मुद्दे पर प्रशासन द्वारा अधिक ध्यान दिए जाने के बाद कचुतली में चार चरणों में बेदखली अभियान चलाया गया। पिछले साल 22 अगस्त को बेदखली का पहला चरण चलाया गया था। बेदखल किए गए अधिकांश लोग नगांव, मोरीगांव, दरंग और छयगांव में अपने पुराने घरों में चले गए। कई लोग अपनी जमीन न होने के बहाने कचुतली में मस्जिद के सामने रहने लगे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें वहां से भी बेदखल कर दिया। अब डिगारू नदी के किनारे वर्तमान में करीब दो सौ लोग रह रहे हैं। 10वें असम पुलिस कार्यालय का निर्माण होने के बाद ही यह पता चलेगा कि वे लोग उस स्थान को छोड़ेंगे या नहीं?
हिमंत ने असम में तिरंगा यात्रा का नेतृत्व...
राणा प्रताप कलिता भी मार्च में शामिल हुए। रैली के दौरान तिरंगा लिये भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भारत माता की जय, भारतीय सेना जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। शर्मा ने सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि हमारी सेनाओं ने दिखा दिया है कि वे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं और उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन को करारा झटका दिया। इसकी सफलता और हमारी सेनाओं की वीरता का जश्न मनाने के लिए मैं गुवाहाटी में तिरंगा यात्रा में हिस्सा ले रहा हूं। सैकिया ने सशस्त्र बलों की भी प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने शेष विश्व को भारत की ताकत दिखाई है। सत्तारूढ़ भाजपा ने असम के अन्य शहरों में भी इसी तरह की तिरंगा यात्राएं आयोजित कीं। (भाषा)
हिमंत ने एआई संचालित वर्चुअल एंकर...
हुए दिखाया गया है। एक प्राकृतिक रूप और धाराप्रवाह असमिया बोलने वाली आवाज सहित उल्लेखनीय रूप से मानवीय विशेषताओं के साथ डिजाइन की गई, अंकिता ने बैठक के प्रमुख निर्णयों और चर्चाओं को स्पष्टता और सटीकता के साथ प्रस्तुत किया। सीएम हिमंत ने एक्स पर लिखा कि हमारी एआई एंकर अंकिता से मिलिए, जो आपको हाल ही में हुई असम कैबिनेट की बैठक के बारे में नए अपडेट दे रही हैं। डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे का नाम भूपेन हजारिका के नाम पर बदलने से लेकर चाय बागान श्रमिकों के लिए एकमुश्त अनुदान तक, हमने जनता के लिए कई फैसले लिए। अपने विचार बताएं। उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया। इसमें एंकर असमिया भाषा में कह रही है कि हमारी सरकार ने चार साल पूरे कर लिए हैं। इस दौरान असम कैबिनेट ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। सरकार ने भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी के अवसर पर असम में महत्वपूर्ण परियोजना मोहनबारी डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट का नाम डॉ. भूपेन हजारिका के नाम पर करने का प्रस्ताव पास किया। प्रस्ताव को विधानसभा के विशेष सत्र पारित कराने के बाद आगे की कार्रवाई के लिए भारत सरकार के पास भेजा गया है। इसके अलावा कैबिनेट ने असम चाय बागान श्रमिकों के लिए वित्तीय सहायता योजना 2025 का ऐलान किया। इसका नाम इटी कोली डूटी पात रखा गया है। असम सरकार के बजट 2025 के मुताबिक इस योजना के तहत असम के सात लाख चाय बागान श्रमिकों को एकमुश्त पांच हजार रुपए दिए जाएंगे। वहीं असम कैबिनेट ने 13822 मस्टरोल कर्मचारियों को 50 फीसदी मकान भत्ता देने का प्रस्ताव पारित किया है। वीडियो में कहा गया है कि सहकारी समितियों के पंजीकरण शुल्क में कटौती की गई है। इसके अलावा असम बजट में घोषित की गई मुख्यमंत्री जीबोन प्रेरणा योजना को कैबिनेट ने हरी झंडी दी है। वहीं वीडियो ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। जहां कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने एआई के नवाचार और संभावित लाभों के बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की, वहीं अन्य लोग मानव समाचार एंकरों और पत्रकारों के लिए नौकरी के विस्थापन के बारे में चिंतित थे। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, नागरिकों को सूचित रखने के लिए तकनीक का उपयोग कैसे किया जा रहा है, यह देखकर अच्छा लगा। अंकिता। एक अन्य ने कहा, कम से कम एक वास्तविक व्यक्ति को काम पर रखना चाहिए था, इससे नौकरी का अवसर पैदा होता।
बलूच नेता ने किया पाक से आजादी...
हैं, जिन्होंने कभी हवाई बमबारी, जबरन गायब किए जाने और नरसंहार का सामना नहीं किया। बलूच नेता मीर यार बलूच ने भारत के पाकिस्तान से पीओके खाली करने की कहने के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि बलूचिस्तान भारत द्वारा 14 मई 2025 को पाकिस्तान से पीओके खाली करने के लिए कहने के फैसले का पूरा समर्थन करता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान से तुरंत पीओके छोड़ने का आग्रह करना चाहिए ताकि ढाका में उसके 93000 सैन्यकर्मियों को आत्मसमर्पण के एक और अपमान से बचाया जा सके। भारत पाकिस्तानी सेना को हराने में सक्षम है और अगर पाकिस्तान ने कोई ध्यान नहीं दिया तो केवल पाकिस्तानी लालची सेना के जनरलों को ही रक्तपात के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान पीओके के लोगों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। मीर यार बलूच ने कहा कि दुनिया को पाकिस्तान के एकतरफा बयान पर भरोसा नहीं करना चाहिए। (एजेंसी)
पाक ने 21 दिन बाद बीएसएफ जवान...
सीमा पर भारत को सौंप दिया। उन्हें पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद 23 अप्रैल को पाकिस्तान रेंजर्स ने पंजाब में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास से पकड़ लिया था। अधिकारियों ने कहा कि वहीं, पाकिस्तान के एक रेंजर को उसके हवाले कर दिया गया जिसे बीएसएफ ने तीन मई को राजस्थान में सीमा क्षेत्र से पकड़ा था। बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान रेंजर्स ने सुबह 10.30 बजे कांस्टेबल शॉ को अमृतसर जिले में अटारी स्थित संयुक्त जांच चौकी पर (पाकिस्तान में वाघा सीमा के सामने) उसके हवाले कर दिया। बीएसएफ ने शॉ की एक तस्वीर जारी की जिसमें उन्हें दाढ़ी, मूंछ और बिखरे बालों के साथ देखा जा सकता है। वह गोल गले की हरे रंग की टीशर्ट पहने हुए हैं। बीएसएफ प्रवक्ता ने कहा कि आज सुबह 10.30 बजे कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को अटारी-वाघा सीमा पर पाकिस्तान द्वारा बीएसएफ के सुपुर्द कर दिया गया है। प्रवक्ता ने कहा कि शॉ 23 अप्रैल को फिरोजपुर सेक्टर में अभियान संबंधी ड्यूटी करते हुए पूर्वाह्न करीब 11.50 बजे अनजाने में पाकिस्तान के क्षेत्र में चले गए थे और पाक रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया। अधिकारियों ने कहा कि जवान की पूरे शरीर की जांच और मेडिकल परीक्षण किया जाएगा, जिसके बाद उनकी काउंसलिंग होगी और 'डीब्रीफिंगÓ सत्र में बीएसएफ के अधिकारी उन्हें रेंजर्स द्वारा 21 दिन तक पकड़कर रखने के बारे में 'प्रासंगिक प्रश्नÓ पूछेंगे। उन्होंने कहा कि 24वीं बीएसएफ बटालियन के इस जवान को सक्रिय ड्यूटी में शामिल नहीं किया जाएगा और वह बीएसएफ के पंजाब फ्रंटियर की आधिकारिक जांच में भी शामिल होंगे, जिसमें रेंजर्स द्वारा उन्हें पकड़े जाने के घटनाक्रम की जांच की जाएगी और खामियों का पता लगाया जाएगा। प्रवक्ता ने कहा कि स्थापित प्रोटोकॉल के तहत शांतिपूर्ण तरीके से सीमा पर जवान को बल के सुपुर्द किया गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान रेंजर्स के साथ नियमित फ्लैग बैठकों और अन्य संचार चैनलों के माध्यम से बीएसएफ के सतत प्रयासों के कारण बीएसएफ कांस्टेबल की वापसी संभव हुई है। अधिकारियों ने बताया कि जवान 'किसान गार्ड का हिस्सा थे, जिसे सीमा पर बाड़ के पास अपनी जमीन जोतने वाले भारतीय किसानों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, जवान ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा को लेकर 'गलत अनुमान लगाया और पास के एक पेड़ के नीचे आराम करने चले गए, जहां से उन्हें रेंजर्स ने पकड़ लिया। (भाषा)
असम पंचायत चुनाव परिणाम : भाजपा...
क्षेत्रों के 1,261 सीट पर जीत हासिल की है, जबकि उसके सहयोगी असम गण परिषद (अगप) ने अब तक 184 सीट हासिल की हैं। विपक्षी कांग्रेस ने 481 सीट जीती हैं, जबकि एआईयूडीएफ को 64, रायजोर दल को 17, तृणमूल कांग्रेस को चार, असम जातीय परिषद को तीन, आम आदमी पार्टी (आप) को एक और निर्दलीय उम्मीदवारों को 173 सीट मिली हैं। जिला परिषद (जेडपी) में भाजपा ने 274 सीट जीती हैं, जबकि उसके सहयोगी एजीपी ने 27 सीट जीती हैं। एएसईसी के आंकड़ों से पता चलता है कि कांग्रेस ने 72 सीट जीती हैं, जबकि एआईयूडीएफ ने आठ, रायजोर दल ने तीन और निर्दलीय ने 13 सीट जीती हैं। आयोग ने कहा कि 21,920 ग्राम पंचायत वार्ड के लिए हुए चुनाव का राजनीतिक दलों के प्रायोजन से कोई लेनादेना नहीं था। कुल सीट में ग्राम पंचायत (जीपी) सदस्य की 21,920 सीट शामिल हैं, जिनमें से 10,883 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। आंचलिक पंचायत (एपी) सदस्य की 2,192 सीट के लिए भी मतदान हुआ, जिनमें से 1,124 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इसी तरह जिला परिषद (जेडपी) सदस्यों की 397 सीट में से 199 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। कुल 2,912 उम्मीदवार निर्विरोध विजयी हुए हैं जिनमें 34 जिला परिषद सदस्य, 311 एपी सदस्य और 2,567 ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य शामिल हैं। (भाषा) डॉ. उपासना महंत एसएचईएसी का सदस्य... ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो भी हैं, एसएचईएसी में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय सदस्य हैं। शिवसागर कॉलेज के दिवंगत प्रोफेसर शरत महंत और मीना महंत की बेटी डॉ. उपासना महंत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो सफलता और पहचान हासिल की उस पर शिवसागर जिले के लोगों के साथ-साथ हर असमवासी का गर्व है। यह खबर निस्संदेह असम की नई पीढ़ी के लिए बहुत आशाजनक और उत्साहवर्धक है। डॉ. उपासना महंत अपनी मातृभाषा माध्यम से पढ़ाई करके और बाद में अपनी शिक्षा में तेजी से प्रगति करके विश्व मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने में सक्षम रहीं। डॉ. उपासना महंत ने अपनी प्राथमिक शिक्षा शिवसागर के जयसागर लोअर प्राइमरी स्कूल, रंगपुर गर्ल्स स्कूल और फुलेश्वरी स्कूल से प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री क्रमश: मिरांडा हाउस और हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की। बाद में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की तीन...
दौरान केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह असम, मिजोरम एवं नागालैंड जाएंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। यात्रा के दौरान श्री चौहान कृषि, बागवानी, पशुपालन एवं ग्रामीण विकास से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे, परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। साथ ही किसानों तथा स्थानीय हितधारकों से सीधा संवाद भी करेंगे। इस दौरान वे 29 मई से शुरू होने वाले देशव्यापी 'विकसित कृषि संकल्प अभियानÓ में राज्यों की सहभागिता पर भी चर्चा करेंगे। प्रवास के पहले दिन 15 मई को सुबह केंद्रीय मंत्री चौहान मिजोरम के थेनजॉल स्थित कृषि महाविद्यालय के प्रशासनिक एवं अकादमिक भवन का उद्घाटन करेंगे व वृक्षारोपण करेंगे। इसके उपरांत दोपहर में वे नागालैंड के जलुकी स्थित पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय के प्रशासनिक व शैक्षणिक भवन का उद्घाटन करेंगे और किसानों से बातचीत करेंगे। यात्रा के दूसरे दिन 16 मई को मंत्री श्री शिवराज सिंह असम के काजीरंगा में कृषि मंत्री असम और क्षेत्रीय सांसद के साथ स्थानीय कार्यक्रमों में सम्मिलित होंगे। यात्रा के तीसरे और अंतिम दिन यानी 17 मई को श्री शिवराज सिंह चौहान गुवाहाटी स्थित श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। इसके पश्चात वे माँ कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन व पूजा करेंगे। केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह की यह यात्रा पूर्वोत्तर भारत के सर्वांगीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता- विशेषकर कृषि, बागवानी, पशुपालन और ग्रामीण आजीविका के सशक्तिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पायदान है।