सनातन धर्म सभ्यता अनुसार चैत्र नवरात्रि अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही हिन्दू नववर्ष का शुभ आरंभ होता है। चैत्र नवरात्रि का व्रत चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होकर नवमी तिथि तक जगदम्बा की पूजा अर्चना व्रत रखकर किया जाता है। 30 मार्च 2025 से प्रारंभ होने वाले चैत्र नवरात्रि इस वर्ष पंचमी तिथि के क्षय होने के कारण 8 दिनों तक रहेगा। 

नवरात्रि में पूजा की विधि का विशेष महत्व : ज्योतिर्विद विकाश तिवाड़ी ने बताया कि नवरात्रि के दौरान सुबह और शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा करना शुभ माना जाता है। सुबह कलश के पास दीप जलाकर मां दुर्गा का आह्वान करें और धूप, दीप, कर्पूर और गंध का प्रयोग करें। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा करें। नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है। आरती के बाद श्रद्धा अनुसार प्रसाद चढ़ाएं और घर में भक्तिमय वातावरण बनाए रखें। अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन और हवन का आयोजन करें, जिससे मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। हाथी पर सवार होकर आएगी मां जगदम्बा -  इस बार देवी दुर्गा मां हाथी ( गजराज) पर सवार होकर आएगी जो कि अत्यंत शुभ माना जाता है।

घट स्थापना मुहूर्त : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 30 मार्च 2025 को घट स्थापना ( देवी का आह्वान) के लिए देवी भागवत में प्रात: काल का समय ही श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन प्रतिपदा तिथि दोपहर 12.19 तक है अत: इस दिन प्रात: काल द्विस्वभाव लग्न में ही घट स्थापना करनी चाहिए। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा रविवार को सूर्योदय 05.00 बजकर 16 मिनट पर होगा और द्विस्वभाव मीन लग्न 6.00 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।   

शुभ मुहूर्त 

1. मीन लग्न - प्रात: 05.00 बजकर 16 मिनट से 6.00 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।

2. चर लाभ - अमृत का चौघड़ीया- प्रात: 7.00 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12.31 तक रहेगा।

3. अभिजीत मुहूर्त:  12.01 से 12.50 तक।

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