काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी के हाथों प्रस्तावित है। उससे पहले तेजी से निर्माण कार्यों को पूरा किया जा रहा है। गर्भ गृह और उसके आसपास के सौंदर्यीकरण के लिए 29-30 नवंबर को 12-12 घंटे और 1 दिसंबर को 24 घंटे मंदिर में आम लोगों का दर्शन पूजन भी बंद रहेगा। पीएम मोदी के प्रयास से गंगा और बाबा विश्वनाथ के बीच अब कोई नहीं है। दोनों एक दूसरे को निहार सकते हैं। इसके साथ ही गंगा को गर्भ गृह तक भी लाने की तैयारी हो रही है। बाबा विश्वनाथ के गर्भ गृह से गंगा के सीधे जुड़ाव के लिए एक पाइप लाइन बिछाई जा रही है। महाश्मशान मणिकर्णिका से सटे ललिता घाट से मंदिर के गर्भगृह तक जल्द ही इस पाइप लाइन से गंगा जल सीधे बाबा के गर्भगृह तक पहुंचेगा। अब तक मंदिर के सेवादार ललिता घाट से गगरों में जल भर कर लाते हैं जो गर्भगृह के ऊपर बनी टंकी में डाला जाता है।  एक पाइप लाइन से गंगा का जल बाबा के गर्भगृह तक आएगा जबकि दूसरी पाइप लाइन से गर्भगृह में चढ़ने वाला दूध और गंगाजल वापस गंगा में समाहित हो जाएगा। जल और दूध को गंगा तक पहुंचाने के लिए बिछाई गई पाइप लाइन का ट्रायल बुधवार हुआ।  पूरब में गंगा द्वार से मंदिर चौक, मंदिर परिसर होते हुए धाम के पश्चिमी छोर तक 108 पेड़ व वनस्पतियां लगाई जाएंगी। पेड़ों में बेल, अशोक और शमी को प्रमुखता दी जाएगी। पहले फलदार वृक्ष भी लगाने की योजना थी लेकिन बाबा के भक्तों को बंदरों से बचाने के लिए वह योजना बदल दी गई। निर्धारित दूरी पर पेड़ लगाने के लिए करीब दो फुट व्यास के गड्ढे बनाए गए हैं। इनमें मिट्टी भी भरी जा चुकी है।