अमावस्या की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। मान्यतानुसार चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या और दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है। इस दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए भी स्नान और दान किया जाता है। कहते हैं पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या की पूजा महत्वपूर्ण होती है। इस महीने चैत्र माह की अमावस्या तिथि को लेकर खासा उलझन की स्थिति बन रही है। ऐसे में यहां जानिए 28 या 29 मार्च कब मनाई जाएगी चैत्र अमावस्या और क्या है स्नान और दान का शुभ मुहूर्त. 

चैत्र अमावस्या कब है  : पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च की शाम 7 बजकर 55 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 29 मार्च की शाम 4 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 29 मार्च, शनिवार को अमावस्या मनाई जाएगी। शनिवार के दिन पड़ने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या कहते हैं। शनिचरी अमावस्या पर शनि देव का भी पूजन किया जाता है। कहते हैं ऐसा करने पर शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या से छुटकारा मिल जाता है।

चैत्र अमावस्या के दिन स्नान और दान का मुहूर्त : 29 मार्च, शनिवार की सुबह 4 बजकर 42 मिनट से सुबह 5 बजकर 29 मिनट तक स्नान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से दोपहर 1 बजकर 8 मिनट तक रहने वाला है। इसके अलावा, सूर्यास्त से पहले तक स्नान किया जा सकता है। चैत्र अमावस्या पर स्नान के साथ ही पितरों का तर्पण भी किया जा सकता है।

शनि देव को चढ़ा सकते हैं तेल : शनिवार के दिन पड़ने के चलते चैत्र अमावस्या को शनिचरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या पर शनि देव की पूजा की जा सकती है। शनि ढैय्या और शनि की साढ़े साती से छुटकारा पाने के लिए शाम के समय शनि देव  के मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाया जा सकता है। इसके अलावा, काले तिल और उड़द दाल दान में दे सकते हैं।