हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि अत्यंत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पितरों को समर्पित होती है, इसलिए अमावस्या के दिन पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण भी किया जाता है। बता दें कि जब अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है तो उसे शनिश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि देव का प्रभाव रहता है। शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि साढ़े साती और ढैय्या जैसे दोषों से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। लेकिन इस दिन इन गलतियों को करने से बचना चाहिए अन्यथा आपको शनि देव का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। तो आइए जानते हैं कि इस शनिश्चरी अमावस्या कब है और इस दिन क्या नहीं करना चाहिए।
शनिश्चरी अमावस्या 2025 डेट और मुहूर्त
चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि प्रारंभ- 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर
चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि समाप्त- 29 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर
शनिश्चरी अमावस्या (शनि अमावस्या) तिथि- 29 मार्च 2025
शनिश्चरी अमावस्या के दिन न करें ये गलतियां
शनिश्चरी अमावस्या के दिन भूलकर भी मांस-मदिरा और नशा पदार्थ का सेवन न करें। ऐसा करने से आपको शनि देव के दंड का भोगी बनना पड़ सकता है।
इस दिन गाय, कुत्ता और कौवे को गलती से भी कोई कष्ट न पहुंचाएं। इन्हें कोई हानि पहुंचाने से शनि देव नाराज हो जाते हैं।
शनि अमावस्या के दिन बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटना चाहिए। ऐसा करने से शनि दोष लगता है।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन लोहे का सामान और शनि से जुड़ी अन्य चीजों को खरीददारी नहीं करनी चाहिए।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन बड़ों का अनादर न करें और न ही इस दिन किसी से कोई भी वाद-विवाद करें।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन करें ये काम
शनिश्चरी अमावस्या के दिन संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
शनि अमावस्या के दिन शनि देव की मूर्ति के पास तेल का दीया जलाएं। तेल में काला तिल और साबुत उड़द की दाल भी डाल दें।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन शाम के समय पीपल पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीया जलाएं और सात बार उसकी परिक्रमा करें। इस दिन शमी के पेड़ की पूजा भी फलदाई होती है।
शनि अमावस्या के दिन गरीबों को काला तिल, काला कंबल और काले रंग के कपड़े दान करें।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन काले कुत्ते को सरसों का तेल लगी रोटी खिलाएं। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।