पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत पर पूरे मनोभाव से भगवान शिव का पूजन किया जाए तो घर-परिवार में खुशहाली आती है, आरोग्य का वरदान मिलता है और महादेव प्रसन्न होकर अपनी कृपा भक्तों पर बनाए रखते हैं। जीवन में आ रहे कष्टों और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए भी प्रदोष व्रत रखा जाता है। ऐसे में यहां जानिए इस माह का आखिरी प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा, पूजा का शुभ मुहूर्त  क्या होगा, किस तरह पूजा संपन्न होगी और प्रदोष व्रत पर किन बातों का ध्यान रखना अतिआवश्याक होता है। मार्च महीने का आखिरी प्रदोष व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पर रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 मार्च की देररात 1 बजकर 42 मिनट पर शुरू हो जाएगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 27 मार्च की रात 11 बजकर 3 मिनट पर हो जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इसीलिए 27 मार्च, गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते इस प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। 

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त : मान्यतानुसार प्रदोष काल में प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है। इसीलिए प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त 27 मार्च की शाम 6 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगा और रात 8 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इस समायवधि में प्रदोष व्रत की पूजा करना अत्यधिक शुभ और फलदाई होगा। 

कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा : सुबह-सवेरे जल्दी उठकर स्नान पश्चात भगवान शिव का ध्यान करके प्रदोष व्रत का संकल्प लिया जाता है। जब पूजा की जाती है तब शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, आक के फूल, गुड़हल के फूल और मदार के फूल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। पूजा में शिव मंत्रो का जाप किया जाता है, प्रदोष व्रत की कथा पढ़ी जाती है और आरती करने के बाद भोग लगाकर पूजा का समापन होता है। इस दिन पूरे शिव परिवार की पूजा करना शुभ होता है। प्रदोष व्रत के अगले दिन प्रदोष व्रत का पारण किया जाता है। 

प्रदोष व्रत पर ध्यान रखें ए बातें : प्रदोष व्रत के दिन कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाता है। इस दिन किसी तरह का तामसिक भोजन, मांसाहार और मादक पदार्थ ग्रहण नहीं किए जाते हैं। प्रदोष व्रत रखने वाले लोगों को दिनभर महादेव का ध्यान लगाना चाहिए, किसी के लिए मन में गुस्सा या द्वेष नहीं रखना चाहिए और नकारात्मक ख्यालों को मन से दूर रखना चाहिए। व्रत रखने वालों को खासतौर से झूठ बोलने और किसी का अनादर करने से परहेज करना चाहिए।