सनातन धर्म में नवरात्रि एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह वर्ष में चार बार मनाया जाता है, जिसमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि प्रमुख होती हैं, जबकि दो अन्य गुप्त नवरात्रि होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल को समाप्त होगी। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि का आरंभ कलश स्थापना से होता है, जिसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। विधिपूर्वक कलश स्थापना करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। कलश स्थापना के साथ भक्तों को व्रत का संकल्प लेना चाहिए और मां दुर्गा की विधि-विधान से आराधना करनी चाहिए।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ : यह पाठ अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है, जो जीवन की कठिनाइयों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ : नवरात्रि के नौ दिनों तक इन ग्रंथों का पाठ करने से रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि के नौ दिनों तक दीप प्रज्ज्वलित करें : देवी मां की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन दीप जलाना शुभ माना जाता है।
नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व : नवरात्रि के दौरान भक्त देवी दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शक्ति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन नौ दिनों तक माता रानी की कृपा प्राप्त करने से सभी प्रकार के दुख, परेशानियां और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। यह समय साधना, आत्मशुद्धि और ईश्वर की भक्ति में लीन रहने का होता है। माता रानी की आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति के मार्ग खुलते हैं। उचित विधि से व्रत और पूजा करने से भक्तों को देवी की कृपा प्राप्त होती है और उनका जीवन मंगलमय बनता है।