पूर्वांचल प्रहरी डेस्क: पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार गुवाहाटी के निवासियों के लिए एक चिंताजनक खबर है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों  में गुवाहाटी का स्थान 39वां हो गया है। गुवाहाटी के वायु प्रदूषण ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और  गुरुवार को यह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया। असम प्रदूषण नियंत्रण परिषद के सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि गुवाहाटी में पीएम 2.5 की मात्रा 51 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर 153 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई है। इसी अवधि में दिल्ली में पीएम 2.5 की मात्रा 137 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हवा में पीएम 2.5 की सांद्रता 7-10 माइक्रोग्राम होनी चाहिए वायुमंडल में एक्यूआई का मान 50 होना सामान्य माना जाता है। फिर एक्यूआई का मान 100 के भीतर होने पर संतोषजनक माना जाता है, 100 से ऊपर को मानव शरीर के लिए हानिकारक माना जाता है और 150 से ऊपर को खतरनाक माना जाता है। हालांकि, गुवाहाटी में पीएम 2.5 की सांद्रता 153 माइक्रोग्राम है। इसका मतलब यह है कि गुवाहाटी में पीएम 2.5 की सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता से 10 गुना अधिक है। यह शहर के निवासियों के लिए एक भयानक संकेत है। आंकड़ों के अनुसार गुवाहाटी में पार्टिकुलेट मैटर और पीएम 2.5 की मात्रा में वृद्धि मुख्य रूप से पिछले कुछ महीनों में बारिश की कमी के कारण धूल के कणों में वृद्धि से हुई है। वायु प्रदूषण में इसका योगदान 40 से 48 प्रतिशत है। इसके अलावा डीजल, पेट्रोल और जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों से 12 प्रतिशत, फ्लाईओवर सहित निर्माण कार्यों से 20 प्रतिशत, उद्योगों से 10 प्रतिशत और विकास कार्यों से 10 प्रतिशत प्रदूषण होता है। गुवाहाटी शहर में लगातार वाहनों की संख्या में वृद्धि हो रही है और इसके अलावा शहर के हर सड़क में भारी ट्रैफिक जाम होता है। इससे वाहनों से उच्च कार्बन उत्सर्जन होता है। कार्बन का यह बढ़ा हुआ स्तर वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा है। इसके अलावा जीवाश्म ईंधन से चलने वाले कारखाने भी हैं। कृषि में जीवाश्म ईंधन का उपयोग, उद्योग से कार्बन उत्सर्जन और जनसंख्या घनत्व का भी वायु प्रदूषण में योगदान हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षों से गुवाहाटी में हुए बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों ने भी वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदूषण नियंत्रण परिषद के सूत्रों के अनुसार 2023 से शहर के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इससे वायुमंडल में कार्बन का स्तर बढ़ गया है और वातावरण प्रदूषित हो रहा है। विभिन्न संगठनों की एक्यूआई रिपोर्ट का कहना है कि गुवाहाटी में वायु प्रदूषण में वृद्धि निवासियों के स्वास्थ्य के लिए एक बुरा संकेत है। संक्षेप में कहें तो गुवाहाटी में वायु प्रदूषण इस समय भयावह रूप ले रहा है। इस बीच, मेघालय के औद्योगिक शहरों में से एक, बर्निहाट में वायु प्रदूषण गंभीर रूप लेता जा रहा है जिससे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण परिषद भी चिंतित है। यहा उल्लेखनीय है कि गुवाहाटी की हवा दिल्ली से भी अधिक प्रदूषित है और इस मुद्दे को राष्ट्रीय मीडिया में तो क्या असम के मीडिया में भी ज्यादा तवज्जो नहीं मिली है। इसके विपरीत, गुवाहाटी से सटे मेघालय के बरनिहाट में प्रदूषण का मुद्दा  राष्ट्रीय मीडिया में भी छाया हुआ है।