हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी का व्रत बहुत विशेष माना गया है। यह व्रत भोलेनाथ के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। भगवान कार्तिकेय स्कंद, मुरुगन और सुब्रमण्डय के नाम से भी जाने जाते हैं। स्कंद षष्ठी का व्रत हर महीने की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत करने का विधान है। इस दिन पूजा और व्रत करने से जीवन की सभी बाधाए दूर हो जाती हैं। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी कब है। इसका शुभ मुहूर्त क्या है। पूजा विधि और इस व्रत के नियम क्या हैं?
कब है स्कंद षष्ठी का व्रत? : द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि की शुरुआत 4 मार्च 2025, मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 5 मार्च बुधवार को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि का व्रत 4 मार्च को रखा जाएगा।
स्कंद षष्ठी पूजा विधि
स्कंद षष्ठी के दिन सुबह प्रात: काल उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहन लें।
फिर पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें।
इसके बाद भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर रख लें।
पूजा के दौरान भगवान कार्तिकेय को गंगाजल से स्नान कराएं।
भगवान कार्तिकेय को चंदन, रोली, सिंदूर आदि लगाएं।
भगवान कार्तिकेय को फूलों की माला फहनाएं।
भगवान कार्तिकेय के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं।
भगवान कार्तिकेय को तांबे के लोटे में जल से अर्घ्य दें।
भगवान कार्तिकेय को फल, मिठाई, दूध आदि का भोग लगाएं।
कार्तिकेय नम: मंत्र का जाप करें।
स्कंद षष्टि व्रत की कथा पढ़ें।
अंत में आरती कर पूजा का समापन करें।