पौराणिक कथाओं के अनुसार, शबरी माता ने श्रीराम को अपने झूठे बेर खिलाए थे। इस कथा को मां शबरी के प्रेम और ममता के प्रतीक के रूप में सुनाया जाता है। उन्हीं शबरी माता  के लिए हर साल शबरी जयंती का व्रत रखा जाता है। मान्यतानुसार शबरी जयंती पर शबरी माता और श्रीराम की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो भक्तों पर श्रीराम की कृपादृष्टि पड़ती है और जीवन में खुशहाली आती है। मान्यतानुसार, शबरी माता ने जब श्रीराम  को बेर खिलाए थे तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। ऐसे में यहां जानिए किस दिन मनाई जाएगी शबरी जयंती और किस तरह संपन्न की जा सकती है शबरी माता और श्रीराम की पूजा। 

शबरी जयंती कब है : पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाई जाती है। इस तिथि की शुरुआत इस साल 19 फरवरी की सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 20 फरवरी की सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार शबरी जयंती 20 फरवरी, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इसी दिन शबरी जयंती का व्रत  भी रखा जाता है।

कैसे करें शबरी जयंती की पूजा : शबरी जयंती की पूजा  करने के लिए सुबह के समय स्नान पश्चात माता शबरी और श्रीराम का स्मरण किया जाता है। मंदिर की सफाई की जाती है, श्रीराम और माता शबरी की प्रतिमा मंदिर में सजाई जाती है और पूजा की जाती है। पूजा करने के लिए पूजा सामग्री में धूप, दीप, अक्षत, फल और फूल रखे जाते हैं। भोग स्वरूप श्रीराम को बेर अर्पित किए जाते हैं। शबरी माता ने श्रीराम को बेर खिलाए थे इसीलिए इस दिन बेर को भोग में रखना अत्यधिक शुभ माना जाता है। 

किया जा सकता है दान : पूजा के साथ ही शबरी जयंती के दिन दान का अत्यधिक महत्व होता है। शबरी जयंती के दिन अन्न का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराया जा सकता है। अन्न के अलावा कपड़े या धन भी दान में दिए जा सकते हैं। शबरी जयंती के दिन बेर दान में देने बेहद शुभ माने जाते हैं।