प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में स्नान के लिए जाने वाले यात्रियों के बीच नई दिल्ली स्टेशन पर हुई भगदड़ ने पूरे देश को दुखी कर दिया है, क्योंकि इस घटना में डेढ़ दर्जन लोग मारे गए या उन्हें भीड़ ने कुचल दिया। दूसरी ओर इस घटना में बड़े पैमाने पर लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें कइयों की हालत अति गंभीर है। इस मामले को लेकर  जांच टीम एक्शन मोड में आ गई है। रविवार दोपहर दो सदस्यीय टीम प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर पहुंची और हादसा कैसे हुआ? इस बारे में जानकारी ली। जांच टीम उन सीढ़ियों पर भी गई जहां भगदड़ के हालात बने। टीम ने संबंधित अफसरों से भी बात की और यह पता किया कि जब हादसा हुआ, तब विभागीय अधिकारी क्या कर रहे थे, इससे पहले सभी सीसीटीवी कैमरों को सील कर दिया गया। जांच टीम इन कैमरों को भी खंगालेगी और यह पता लगाएगी कि भगदड़ से पहले क्या स्थिति थी। दरअसल, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर महाकुंभ जाने वाले यात्री प्रयागराज की स्पेशल ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। भीड़ का दबाव बढ़ता जा रहा था।  इसी से सटे प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर दरभंगा जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के लिए भी भीड़ जुट रही थी। 13 और 14 नंबर प्लेटफॉर्म पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी। हालात आउट ऑफ कंट्रोल थे। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घंटेभर में 1500 सामान्य टिकटों की बिक्री हो गई। पूरी की पूरी भीड़ प्लेटफॉर्म नंबर 13-14 पर पहुंच गई।  उसी बीच रेलवे स्टेशन पर घोषणा हुई कि प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर प्रयागराज से नई स्पेशल ट्रेन आ रही है। फिर क्या था। भीड़ को लगा कि यही ट्रेन प्रयागराज के लिए वापसी करेगी। स्पेशल ट्रेन की घोषणा सुनते ही सामान्य श्रेणी का टिकट लेने वाले यात्री प्लेटफॉर्म नंबर 14 से प्लेटफॉर्म नंबर 16 की तरफ भागने लगे। ये भीड़ फुटओवर ब्रिज से होकर प्लेटफार्म 16 की तरफ जाना चाहती थी। लेकिन फुटओवर ब्रिज पर पहले से बड़ी संख्या में लोग बैठे हुए थे, उसी भीड़ की चपेट में फुटओवर ब्रिज पर बैठे कुछ लोग आ गए। वो दब गए। उसी घटना के बाद भगदड़ जैसी स्थिति हो गई। हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई।  हादसे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि स्टेशन पर ऐसी भीड़ की आशंका लगातार रही है। फिर रेलवे ने कैसी व्यवस्था की। कैसे प्लेटफॉर्म पर इतने लोग आ गए। कुछ लोग बिना टिकट के भी अंदर कैसे आ गए। कैसे टिकट वाले ट्रेन पर चढ़ने के लिए जूझते रहे। क्या सब भगवान भरोसे था? क्या रेलवे को इतनी भीड़ का अंदाजा नहीं था? फिलहाल,अपर्याप्त इंतजाम कई गंभीर सवाल उठा रहे हैं।  घटना के बाद रेलवे ने दो सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। इस टीम में उत्तरी रेलवे के प्रिंसिपल चीफ कमर्शियल मैनेजेर नरसिंह देव और उत्तर रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त पंकज गंगवार को रखा गया है। दोनों अफसरों के नेतृत्व में टीम घटना से जुड़े सबूत जुटा रही है।  जांच टीम में शामिल उत्तरी रेलवे के प्रिंसिपल चीफ कमर्शियल मैनेजेर नरसिंह देव से जब पूछा गया कि आरपीएफ की टीम हादसे के वक्त कम क्यों थी? इस सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली। 18 मौतों का जिम्मेदार कौन है? इस सवाल पर भी वे खामोश रहे।  उन्होंने बताया कि मैं जांच कमेटी का मेंबर हूं, इसलिए यहां आया हूं। कमेटी जब अपनी रिपोर्ट देगी, उसमें सारी जानकारी दी जाएगी।  इससे पहले सुबह रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और घटना की जानकारी दी। उसके बाद वे रेल मंत्रालय पहुंचे और अफसरों के साथ हाई लेवल मीटिंग की। घटना के समय पटना जाने वाली मगध एक्सप्रेस प्लेटफार्म 14 पर खड़ी थी, जबकि जम्मू जाने वाली उत्तर संपर्क क्रांति प्लेटफार्म 15 पर थी। प्लेटफार्म 14 से 15 पर आ रहा एक यात्री फिसलकर सीढ़ियों पर गिर गया और उसके पीछे आ रहे कई यात्री इसकी चपेट में आ गए। इसके कारण भगदड़ मच गई। इसकी उच्च स्तरीय कमेटी जांच कर रही है।