वास्तु शास्त्र के अनुसार सूर्य देव का धैर्य, ऊर्जा,बल बुद्धि के लिए विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष के मान्यतानुसार जिस घर में सूर्य की पर्याप्त रोशनी नहीं पंहुचती हैं, वहां नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता का वास होता है। साथ ही जहां सूर्य की रोशनी घर में प्रवेश करती है वहा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। जिसका स्वास्थ,सुख-समृद्धि का लाभ घर परिवार के लोगों को प्राप्त होता है। वहीं जिन घरों में सूर्य की किरणें ठीक से नहीं आती है या जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रह दोष है,वह जातक अपने घर में वास्तु अनुसार सूर्य की प्रतिमा अवश्य लगानी चाहिए। वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देवता की लकड़ी से बनी प्रतिमा को लगाने से घर परिवार के लोगों को समाज मे अधिक मान-सम्मान प्राप्त होता है।साथ ही भाग्य का साथ जीवन भर मिलने का आशीर्वाद मिलता है। वहीं सूर्य देव की पत्थर या मिट्टी से बनी प्रतिमा लगाने से आपके मंगलकारी कार्यों में अटकी हुई सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं,या तांबे के धातु की प्रतिमा रखने से आपके आस-पास सकारात्मकता और आजीवन आरोग्य का माहौल बना रहता है और साथ ही आर्थिक-शारीरिक सभी परेशानियों से छुटकारा का कृपा बनी रहती है।चांदी से बनी प्रतिमा रखने से आपका वर्चस्व में वृद्धि होता है। सोने से बनी प्रतिमा रखने से घर में धन-धान्य और कर्ज-तंगी की कमी जीवन भर नहीं होती। शास्त्रों के मुताबिक सूर्य देवता की प्रतिमा रविवार के दिन को (ॐ भास्कराय नमः या ॐ आदित्याय नमः)इन मंत्रों का जप करते हुए सही दिशा सूचि में लगानी चाहिए। ज्योतिष की मानें तो, अगर आपके पास धन की तंगी हो तो प्रतिमा को उत्तर दिशा की ओर लगाएं।इसे लगाने का सबसे शुभ समय रात्रि 12 बजे से 03 बजे के बीच का समय होता है। क्योंकि इस समय सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग की ओर में मौजूद होते हैं। जिसे अगर आपके बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं तो उनके स्टडी रुम में सूर्य की प्रतिमा सूर्योदय से पहले प्रात: काल 03 बजे से 06 बजे तक के बीच में लगाएं। प्रतिमा को उत्तर-पूर्वी भाग की ओर लगाएं। ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से बच्चों को पढ़ाई में सफलता और भविष्य में तरक्की के मार्ग प्राप्त होंगें।
सूर्यदेव की लकड़ी की प्रतिमा होती है शुभ, समाज में बढ़ता है मान
