अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए पहल शुरू की है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वे अगर सत्ता में आते हैं तो 24 घंटे के भीतर युद्ध बंद करवा देंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वे उस वक्त अमरीका के राष्ट्रपति होते तो यह युद्ध ही शुरू नहीं होता। अपने वादे के अनुसार अमरीकी राष्ट्रपति ने बुधवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न द्विपक्षीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देश में यात्रा करने पर सहमति व्यक्त की। बातचीत के दौरान मध्य-पूर्व में चल रहे तनाव, कैदियों की अदला-बदली आदि मुद्दों पर भी चर्चा हुई। राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप को रूस आने का निमंत्रण भी दिया है। पुतिन से वार्ता के बाद ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ लगभग 1 घंटे तक बातचीत की तथा युद्ध रुकवाने के बारे में विचार-विमर्श किया। ट्रंप के सत्ता में आने के बाद पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि अमरीका पहले की तरह यूक्रेन को आर्थिक एवं सैन्य सहायता नहीं देगा। ट्रंप प्रशासन तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन के समय अनुमोदित सैन्य सहायता को जारी रखेगा, किंतु नई सहायता के बारे में अभी कोई विचार नहीं किया है। ट्रंप प्रशासन की मंशा वहां के रक्षा मंत्री के बयान से साफ हो जाती है। अमरीकी रक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा है कि अमरीका यूक्रेन को पहले की तरह सहायता जारी नहीं रखेगा। साथ ही अमरीका यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का समर्थन नहीं करेगा। उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है कि समझौते के वक्त यूक्रेन को वर्ष 2014 की भौगोलिक सीमा नहीं मिले। मालूम हो कि पिछले तीन वर्षों से रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा है जिसमें दोनों ही पक्षों से लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। रूसी हमले में यूक्रेन का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा तबाह हो चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध तभी रुक सकता है जब दोनों देश किसी आम सहमति पर पहुंचे। वार्ता की मेज पर निश्चित रूप से रूस का पलड़ा भारी रहेगा, क्योंकि रूस ने यूक्रेन के बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया है। वार्ता के दौरान जमीनों की अदला-बदली पर भी बात होगी। रूस यूक्रेन के रूसी बहुल इलाके पर मजबूती से दावा करेगा। रूस के विस्तार से यूरोपीय देश चिंतित हैं। यह भी सही है कि अमरीका के सैन्य समर्थन के बिना यूक्रेन लंबे समय तक युद्ध में टिक नहीं पाएगा। ट्रंप हर हालत में बड़ी सहायता देने के खिलाफ हैं। ट्रंप का यह भी कहना है कि अमरीका ने यूक्रेन को जो सहायता दी है उसके बदले में यूक्रेन को अपने खनिज पदार्थों को अमरीका को सौंप कर इसकी भरपाई करनी चाहिए। ट्रंप व्यापारी आदमी हैं। वे अमरीका फर्स्ट नीति का पालन करते हुए हमेशा अपने हितों को तरजीह देते रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में ट्रंप के बयान से नाटो देशों में भी खलबली मची हुई है। फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे यूरोपीय देश युद्ध को जारी रखने के लिए सहायता देने की बात कर रहे हैं, किंतु उनकी सहायता रूस के सामने नाकाफी साबित होगा। जेलेंस्की भी मान रहे हैं कि अमरीकी सहायता के बिना रूस के सामने टिके रहना मुश्किल होगा। सभी लोग मानते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध बंद होना चाहिए। तीन वर्ष से चल रहे इस युद्ध के कारण दुनिया की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है, जिससे महंगाई चरम पर है। रूस-यूक्रेन के बीच समझौता होने पर हर हालत में घाटा यूक्रेन को ही होगा। अमरीका का मोहरा बने जेलेंस्की को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। अमरीका का ट्रंप प्रशासन फिलहाल कोई रियायत देने को तैयार नहीं दिख रहा है।