हिंदू धर्म में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि सूर्य देव का पूजन करने पर जीवन में सफलता और खुशहाली आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल सप्तमी रथ सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इसे अचला सप्तमी और सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भक्त इस दिन भगवान सूर्य के लिए व्रत रखते हैं और पूजा संपन्न करते हैं। सूर्य सप्तमी पर व्रत रखने पर स्वास्थ्य अच्छा रहता है, आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है और भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है। यहां जानिए किस दिन रथ सप्तमी मनाई जाएगी, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और किस तरह पूजा संपन्न की जा सकेगी।
रथ सप्तमी कब है : पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल सप्तमी की तिथि 4 फरवरी सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 5 फरवरी सुबह 2 बजकर 30 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में रथ सप्तमी का व्रत 4 फरवरी के दिन ही रखा जाएगा।
रथ सप्तमी का शुभ मुहूर्त
रथ सप्तमी के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 20 मिनट से सुबह 7 बजकर 8 मिनट तक है। यह अवधि पूरे 1 घंटे 45 मिनट की है। रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय सुबह 6.43 पर होगा और अवलोकनीय सूर्योदय का समय 7.08 एएम है।
रथ सप्तमी की पूजा विधि
रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा का अत्यधिक महत्व है। पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठा जाता है और स्नान पश्चात सूर्य देव का स्मरण किया जाता है। इसके साथ ही भगवान गणेश का ध्यान करते हैं। तांबे के बर्तन में लाल फूल, जल, गुड़ और अक्षत डाला जाता है और इस जल से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देते समय जल की धारा में सूर्य देव के दर्शन करना बेहद शुभ होता है। सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए ओम घृणि: सूर्याय नम: मंत्र का जाप किया जाता है। इसके बाद सूर्य देव को घी का दीपक या फिर धूप दिखाते हैं और सूर्य देव की 3 बार परिक्रमा की जाती है। अब सूर्य देव को भोग अर्पित किया जाता है और उनसे क्षमा प्रार्थना की जाती है। रथ सप्तमी के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। इस अवसर पर गुड़, तिल, रोटी और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है। इस तरह रथ सप्तमी की पूजा संपन्न होती है और भगवान सूर्य से जीवन में खुशहाली, सफलता और समृद्धि की मनोकामना की जाती है।