सनातन धर्म में नवरात्रि को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है, जो मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। नवरात्रि साल में चार बार आती है, जिसमें से दो गुप्त और दो और प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि में जहां मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। किसी विशेष मनोरथ सिद्धि हेतु ये नवरात्र बहुत खास माने जाते हैं। कल से माघ मास की गुप्त नवरात्रि का आरम्भ हो रहा है। 

माघ गुप्त नवरात्रि 2025 तिथि : माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस बार इसका आरंभ 30 जनवरी 2025, गुरुवार से होगा और इसका समापन 7 फरवरी 2025, शुक्रवार को होगा। इस दौरान जिन 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है वह कुछ इस प्रकार हैं- मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी। 

 घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

पहला मुहूर्त- प्रात: 9.25 से 10.46 बजे तक

घटस्थापना के लिए कुल समय- 1 घंटे 21 मिनट 

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.13 से 12.56 बजे तक

घटस्थापना के लिए कुल समय- 43 मिनट। 

इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र के साथ व्यतीपात योग भी बन रहा है, जो पूजा के लिए शुभ माना जाता है।

पूजा में आवश्यक सामग्री : मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, कुमकुम, चूड़ी, धूप, दीप, कपूर, नैवेद्य, नारियल, जौ, गंगाजल, पंचमेवा, सरसों का तेल, हवन सामग्री आदि।

पूजा विधि

प्रात: स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।

देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें लाल चुनरी अर्पित करें।

सरसों के तेल का दीपक जलाकर ' ओम दुं दुर्गायै नम:' मंत्र का जाप करें।

मां दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

नौ दिनों तक व्रत रखकर देवी की आराधना करें और अंतिम दिन कन्या पूजन करें।

गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, धूमावती, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। इनकी साधना से विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलता है।